सुमावली और जौरा के बीच आसन नदी पर बने नैरोगेज पुल के 36 में से 12 पिलर 30 मार्च को धंसक गए थे। इनमें से चार पिलर तो अधर में लटके हुए थे। शुरुआत में पुल पर से टे्रन को 5 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से गुजारा गया। इसके बाद 8 अप्रैल से ट्रेक पर नैरोगेज का आवागमन पूरी तरह बंद कर पुल की मरम्मत का काम शुरू कराया गया। एक प्राइवेट कंपनी ने दिन-रात काम करते हुए पुल के पिलरों को बेस देने का प्रयास किया। तमाम इंतजाम तय होने के बाद मंगलवार को रेलवे के तकनीकी स्टाफ की मौजूदगी में पुल से नैरोगेज टे्रन के इंजन को गुजारा गया।
इंजन ने इधर से उधर लगभग तीन-चार चक्कर लगाए। इसके बाद रेलवे ने काम को ओके रिपोर्ट दे दी। इस बारे में रेल पथ निरीक्षक से बात की गई तो उन्होंने सिर्फ इतना कहा कि काम प्रगति पर है। लेकिन सूत्रों के मुताबिक जल्द ही इस ट्रेक पर नैरोगेज टेे्रन का आवागमन शुरू कर दिया जाएगा। यह बात और है कि अभी ट्रेन यहां से 5 किमी प्रति घंटा से अधिक रफ्तार में नहीं गुजर सकेंगी। बहुत संभव है कि पहले की तरह सवारियों को उतारने के बाद ही ट्रेन को पुल से गुजारा जाए।
कहीं बंद न हो जाए नैरोगेज हालांकि आसन नदी के पुल की मरम्मत के बाद नैरोगेज ट्रेन का संचालन फिर से शुरू किए जाने के संकेत मिले हैं। लेकिन लोगों को यह आशंका भी है कि कहीं ट्रेन का संचालन स्थाई तौर पर बंद न कर दिया जाए। सूत्रों की मानें तो अभी रेलवे श्योपुर व सबलगढ़ में कई दिन से खड़ी नैरोगेज ट्रेनों को ग्वालियर लाएगा। इसके बाद ही पता चलेगा कि ट्रेनों का संचालन जारी रहेगा अथवा नहीं। क्योंकि पुल की मरम्मत का काम टेम्परेरी किस्म का ही किया गया है।