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मोरेना

बढ़ रहे हैं मरीज, घट रहा सैंपलिंग और टेस्टिंग का ग्राफ

औसतन 40-42 मरीजों की ही हो पा रही है सैंपलिंगसामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों से बहुत कम आ रहे सैंपल

मोरेनाMay 22, 2020 / 06:30 pm

महेंद्र राजोरे

बढ़ रहे हैं मरीज, घट रहा सैंपलिंग और टेस्टिंग का ग्राफ

अस्पताल में सैंपलिंग के लिए एक-दूसरे से सटकर खड़े संदिग्ध लोग।

मुरैना. कोरोना संक्रमण की आशंका घटने के बजाय और बढ़ती जा रही है। दूसरी ओर जिले में संदिग्ध लोगों के सैंपल लेकर उन्हें जांच के लिए भेजने का काम सुस्त है। पिछले डेढ़ माह की बात करें तो यहां जिले से प्रतिदिन औसतन 40-42 सैंपल जांच केे लिए भेजे जा रहे हैं। हैरत की बात यह कि इस मामले में स्वास्थ्य विभाग द्वारा कलेक्टर के निर्देश का भी पालन नहीं किया जा रहा है।

22 लाख से अधिक आबादी वाले जिले से पिछले डेढ़ माह में महज दो हजार लोगों की ही सैंपलिंग की जा सकी है, जबकि कुछ समय पहले कलेक्टर ने ही निर्देश दिए थे कि प्रत्येक सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र से रोज कम से कम 10 लोगों के सैंपल जांच के लिए भेजे जाने चाहिए। इसके विपरीत रोज जारी होने वाले हेल्थ बुलेटिन के मुताबिक जिले के जौरा, कैलारस, सबलगढ़ व पहाडगढ़़ में बहुत कम लोगों के सैंपल लिए जा रहे हैं। सैंपलिंग के लिए तैयार की गई मोबाइल यूनिट ने भी अब तक कोई सैंपल जांच के लिए नहीं भेजा है। हैरत की बात यह कि संदिग्ध लोगों की संख्या के हिसाब से जिला अस्पताल में भी सैंपलिंग का ग्राफ कमजोर ही है। अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि 20 मई को शहर की लुहार गली में कोरोना पॉजिटिव पाए गए युवक के परिवार के किसी भी सदस्य का सैंपल गुरुवार की रात तक नहीं लिया गया था। लोगों को डर है कि सैंपलिंग में इस तरह की सुस्ती से कोरोना संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है, लेकिन प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी इस बात से बेफिक्र नजर आ रहे हैं।

नई गाइडलाइन का बहाना

सैंपलिंग का आंकड़ा कम होने के सवाल पर अधिकारी नई गाइडलाइन का हवाला देकर बचने का प्रयास कर रहे हैं। उनका कहना है कि अब सिर्फ उन्हीं लोगों की सैंपलिंग की जानी है जो संदिग्ध हैं, लेकिन संदिग्ध लोगों की श्रेणी में कौन लोग शामिल हैं, इसकी परिभाषा स्पष्ट नहीं की जा रही है। हालांकि खबर तो यह है कि सैंपलिंग का ग्राफ कम रखने का इशारा शासन स्तर से ही कर दिया गया है, ताकि संक्रमण की स्थिति गंभीर नजर न आए।
सैंपलिंग भी असुरक्षित ढंग सेे
जिला मुख्यालय पर संदिग्ध लोगों की सैंपलिंग का काम भी असुरक्षित ढंग से किया जा रहा है। आलम यह है कि जिस जगह सैंपलिंग की जा रही है, वहां लोग सोशल व फिजिकल डिस्टेंस के नियम की परवाह किए बिना एक-दूसरे से सटकर खड़े देखे जा सकते हैं। सहज ही समझा जा सकता है कि यदि उस कतार में कोई व्यक्ति कोरोना पॉजिटिव हुआ तो बाकी लोगों में भी संक्रमण फैल सकता है। डॉक्टर्स भी इस आशंका को स्वीकार कर रहे हैं, लेकिन इसके बावजूद व्यवस्था सुधारने की जरूरत महसूस नहीं की जा रही है।

फैक्ट फाइल
1929 सैंपल भेजे गए थे जांच को 21 मई की शाम तक
145091 लोगों की थर्मो स्क्रीनिंग की गइ है अभी तक
1378 लोगों को होम क्वॉरंटीन किया गया था गुरुवार तक
25506 बाहरी लोगों की जांच की गई है अभी तक
10592 खांसी-जुकाम के मरीज हैं जिले में इस समय
जिन लोगों में कोरोना संक्रमण के लक्षण दिख रहे हैं, उनकी सैंपलिंग की जा रही है। हर किसी का सैंपल नहीं लेना है। सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों पर नई गाइडलाइन के मुताबिक सैंपलिंग का काम किया जा रहा है।
प्रियंका दास, कलेक्टर, मुरैना

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