कहीं कपड़ा तो कहीं मशीन ही नहीं, कैसे सिलेंगी गणवेश?
– शासन के निर्देश के बाद भी पोर्टल पर नहीं हो सकी दर्ज- आजीविका मिशन के अधिकारियों की लापरवाही के चलते व्यवस्थाएं गड़बड़ाई- वीसी में छाया रहा गणवेश का मामला
कहीं कपड़ा तो कहीं मशीन ही नहीं, कैसे सिलेंगी गणवेश?
मुरैना. शासन के निर्देश के बाद भी अभी तक जिले भर में कहीं भी गणवेश तैयार नहीं हो सकीं हैं यहां तक अधिकांश स्वसहायता समूह तो अभी तक काम शुरू ही नहीं कर सकें हैं। किसी समूह के पास कपड़ा नहीं पहुंचा है तो किसी के पास मशीन ही दुरस्त नहीं हैं फिर ऐसी स्थिति में गणवेश कैसा तैयार किया जाएगा, यह चिंता का विषय है। गणवेश तैयार करने की व्यवस्था म प्र डे ग्रामीण आजीविका मिशन के अधिकारियों की लापरवाही व मनमानी का नतीजा है।
म प्र डे राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन ने समूहों को नवंबर महीने में ऑर्डर जारी किए और दिसंबर माह में राशि भी जारी कर दी। अधिकारियों ने स्व सहायता समूह के चयन से पूर्व यह नहीं देखा कि जिन समहूों को काम दे रहे हैं, वह काम करने में सक्षम हैं कि नहीं। उसी का परिणाम हैं कि संसाधन के अभाव में अभी तक अधिकांश समूह गणवेश सिलाई का काम शुरू तक नहीं कर सके हैं। विडंवना है कि एक स्वसहायता समूह को २००० से २५०० के बीच ही गणवेश बनाने का काम सौंपा गया है। जबकि अभी तक काम शुरू नहीं हो सका है। राज्य शिक्षा केन्द्र से सख्त निर्देश थे कि २२ फरवरी से जिन स्कूलों को गणवेश मिल चुकी है, वह पोर्टल पर एंट्री करना शुरू कर दें। सोमवार को राज्य शिक्षा केन्द्र के अधिकारियों ने भोपाल से वीसी ली थी। उसमें भी गणवेश सिलाई का मुद्दा छाया रहा।
ग्वालियर की फर्म से सिलाई की तैयारी!
गणवेश सिलाई को लेकर अभी तक जो विलंब हुआ है, उसको लेकर चर्चा है कि ग्रामीण आजीविका मिशन के कुछ अधिकारियों ने जानबूझकर ऐसे समूहों को काम दिया है जिससे वह काम नहीं कर सकें और बाद में किसी फर्म को काम सौंपकर उन्हीं समूहों से गणवेश स्कूलों में वितरित कराई जाएं, जिनको काम दिया गया था। खबर है कि अधिकारियों की ग्वालियर की एक फर्म से बात चल रही हैं। उधर समूह के लोग भी इस बात पर सहमति दे सकते हैं कि उनको तो उनका कमीशन मिल जाए फिर गणवेश कहीं भी सिले, इससे उनको कोई मतलब नहीं हैं। अगर ऐसा हुआ तो गणवेश की क्वालिटी भी प्रभावित हो सकती है।
फैक्ट फाइल
– ९० दिन में तैयार करनी थी समूहों को गणवेश।
– २७६ स्व सहायता समूकों को दिया काम।
– ०७.५० लाख तक का एक समूह को दे सकते हैं काम।
– २००० से २५०० तक डे्रस सिलने का काम दिया गया है एक समूह को।
– २०२०-२१ सत्र के लिए तैयार करनी थी गणवेश।
– ६०० रुपए प्रति छात्र दो डे्रस के लिए मद निर्धारित है शासन से।
कथन
– गणवेश सिलाई का काम आजीविका मिशन द्वारा स्व सहायता समूहों को दिया गया है। जिन समूहों को सिलाई में कोई परेशानी आ रही है, उसको आजीविका मिशन के अधिकारी देख रहे हैं।
रोशन सिंह, सीइओ, जिला पंचायत, मुरैना
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