गांधी वाटिका पिछले लंबे समय से देखरेख के अभाव में जर्जर हो चुकी है। यहां फव्वारा, कुर्सी, सीढ़ी क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। यह पार्क मुख्य मार्ग पर होने से अक्सर शादी से पूर्व किसी लड़की को देखना है, समाज ब विभिन्न संगठनों की बैठक होती रहती हैं। शहर में पार्क और भी हैं लेकिन यह पार्क सबसे पुराना और शुलभ है। शहर में अस्पताल रोड पर दीनदयाल पार्क कुछ हद तक ठीक है परंतु मुक्तिधाम के पास स्थित हरीश्चंद्र पार्क की स्थिति ठीक नहीं हैं। उसके अलावा ये दोनों पार्क शहर के अंदर हैं जिनकी हर किसी को जानकारी नहीं हैं। अगर कोई बाहर का व्यक्ति आता है और उसको कुछ समय ठहरना हैं तो सबसे पहले लोग गंाधी वाटिका ही बताएंगे।
लंबे समय से थी पार्क के कायाकल्य की दरकार : जौरा कस्बे में अभी तक ऐसा कोई पार्क नहीं था जिसमें ब’चों के लिए पर्याप्त खेलने और मनोरंजन के लिए संसाधन हों। नगर का प्रबुद्ध वर्ग पिछले लंबे समय से इसकी मांग करता आ रहा था कि पार्क का जीर्णोद्धार किया जाए। अब समय आ गया है कि पार्क के कायाकल्प का। नगर परिषद इस कार्य का जल्द ही अमलीजामा पहनाने की तैयारी में जुट गई है।
ये होना हैं पार्क में नगर परिषद ने एक बीघा में बनी गांधी वाटिका के जीर्णोद्धार की जो कार्य योजना तैयार की है, उसके हिसाब से पार्क में पेबर ब्लॉक लगाए जाएंगे। चारों तरफ की बाउंड्री, फव्वारा, चौकीदार कक्ष, ब’चों के लिए खिसलपट्टी, झूला सहित अन्य आवश्यकता के हिसाब से काम किया जाएगा। ताकि यहां आने वालों को न केवल सुकून मिले बल्कि ब’चों को बोरियत भी न हो।
गांधी वाटिका के जीर्णोद्धार के लिए 40 लाख की कार्ययोजना तैयार की है। शीघ्र ही उसको अमल में लाया जाएगा। ऋषिकेश त्यागी, सब इंजीनियर, नगर परिषद, जौरा