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सीधे ताजमहल से जुड़ जाएंगे यह पर्यटन स्थल

मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश को जोडऩे वाले चंबल नदी के उसेदघाट पर पक्के पुल के निर्माण 2022 के अंत तक पूरा हो सकता है। इसके बाद आगरा में ताजमहल और मुरैना में ककनमठ, मितावली, पढ़ावली, बटेश्वरा व शनिमंदिर सीधा, शॉर्टकट और सुगम मार्ग उपलब्ध हो सकेगा।

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 80 करोड़ रुपए की लागत से चंबल नदी के उसेदघाट पर 800 मीटर लंबे और 12 मीटर चौड़े पुल का निर्माण कार्य लंबी कवायद के बाद बीते साल शुरू हुआ है।

चंबल नदी के उसेदघाट पर निर्माणाधीन पुल के पिलर तैयार करते श्रमिक।

मुरैना/पोरसा. मध्यप्रदेश और उत्तरप्रदेश को जोडऩे वाले चंबल नदी के उसेदघाट पर पक्के पुल के निर्माण 2022 के अंत तक पूरा हो सकता है। इसके बाद आगरा में ताजमहल और मुरैना में ककनमठ, मितावली, पढ़ावली, बटेश्वरा व शनिमंदिर सीधा, शॉर्टकट और सुगम मार्ग उपलब्ध हो सकेगा। लेकिन पुल निर्माण की राह में कई अवरोध आ रहे हैं। अप्रैल 2018 से शुरू हुए निर्माण कार्य में सब कुछ ठीक चल रहा था, लेकिन अब व्यवधान आ रहे हैं। वित्तीय संकट भी खड़ा हो सकता है।
80 करोड़ रुपए की लागत से चंबल नदी के उसेदघाट पर 800 मीटर लंबे और 12 मीटर चौड़े पुल का निर्माण कार्य लंबी कवायद के बाद बीते साल शुरू हुआ है। 15 पिलर के इस पुल में 10 पर एक साथ काम चल रहा है। पांटून पुल तैयार हो जाने के बाद काम में व्यावहारिक व्यवधान उत्पन्न होने लगे हैं। हर साल पांटून पुल के लिए मप्र शासन की ओर से अलग से सड़क बनाई जाती थी। इस साल नहीं बनाई गई है। ऐसे में वाहन चालक और पैदल यात्री पक्का पुल निर्माण एजेंसी द्वारा अपनी सुविधा और कार्य के हिसाब से बनाई गई रोड का ही उपयोग कर रहे हैं। निर्माण एजेंसी ने अपनी क्रेन, थ्रीडी, ट्रैक्टर ट्रॉली एवं अन्य मशीनों के आने-जाने के लिए सड़क तैयार कराई थी। इसी से सामान्य यात्री व वाहन भी गुजर रहे हैं। कई बार निर्माणाधीन पिलर नीचे धंसकते हैं तो आसपास की 10-12 मीटर तक की मिट्टी इस गड्ढे को भरने के लिए खिसकती है। ऐसे में यदि सड़क भी धंसकी और उस पर कोई वाहन या यात्री उस समय हुआ तो हादसे का शिकार हो सकता है।
व्यस्त व्यापारिक मार्ग बन जाएगा उसेदघाट
चंबल के उसेदघाट पर पक्के पुल का निर्माण कार्य पूर्ण होने पर मुरैना, अंबाह, दिमनी, पोरसा गोरमी, मेहगांव, गोहद तक के कारोबारियों और खासतौर से ट्रांसपोर्टर्स को शार्टकट मार्ग उपलब्ध हो जाएगा। माल वाहनों को एक राज्य (राजस्थान) के टैक्स की बचत होगी। आगरा के लिए अपेक्षाकृत कम व्यस्त और कम दूरी का मार्ग उपलब्ध हो सकेगा।
कथन-
पांटून पुल के ठेकेदारों ने अपनी अलग से सड़क नहीं बनाई है। पुल निर्माण के दौरान पिलर कई बार धंसकते हैं तो आसपास की 10-12 मीटर तक मिट्टी समेट ले जाते हैं। ऐसे में हादसा हो सकता है। इस ओर ध्यान देना चाहिए। तीन माह से भुगतान भी नहीं हुआ है।
ओपी शर्मा, ठेकेदार पुल निर्माण एजेंसी।