नगर निगम का ठेकेदारों पर नियंत्रण नहीं हैं। निगम से जितना पैसा ठेकेदारों को जारी कर दिया जाता है, वह उतना काम करके अधूरा छोड़ देते हैं। जबकि इससे पूर्व ये था कि ठेका हो गया, उसके बाद ठेकेदार को पूरा काम कराना ही होता था, भुगतान बाद में निगम से होता था। अधूरी पड़े निर्माण कार्य के लिए निगम चाहे तो संबंधित ठेकेदार को नोटिस जारी कर सकता है लेकिन निगम ने ऐसा कुछ नहीं किया। इसलिए ठेकेदार मनमानी कर रहे हैं। खबर है कि निगम में निर्माण कार्यों को ठेका कुछ पार्षदों द्वारा स्वयं किया जा रहा है। इसलिए निगम उन पर दबाव नहीं बना पा रहा है।