script..तो इसलिए दल में नहीं दिल में हैं अमर सिंह | Amar Singh is very close to me: Mulayam Singh | Patrika News
UP Special

..तो इसलिए दल में नहीं दिल में हैं अमर सिंह

अमर सिंह ने कहा- नेताजी,हमारे सम्मान की रक्षा नहीं कर पा रहे, इसलिए सपा में आकर उनकी तकलीफ नहीं बढ़ाना चाहता

Jan 30, 2016 / 11:34 am

Hariom Dwivedi


लखनऊ.
सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने शुक्रवार को इटावा में कहा- पूर्व सांसद अमर सिंह भले ही उनके दल में नहीं हैं, लेकिन उनके दिल में बसे हुए हैं। पार्टी ने तो उन्हें निकाल दिया था, पर दिल से कभी बाहर नहीं किया। उनके रिश्ते कभी खराब नहीं हुए। आज भी पहले जैसे रिश्ते हैं। मुलायम ने सही कहा। अमर से उनके रिश्ते मधुर हैं। इस बात को खुद अमर सिंह भी स्वीकारते हैं। वे कहते हैं- मैं मुलायम सिंह से स्नेह करता हूं। उनका आदर करता हूं। मैं उनसे जीवनभर मिलता रहूंगा। अमर और मुलायम की इन स्नेहिल बातों और मुलाकातों के राजनीतिक निहितार्थ निकाले जाते रहे हैं। कहने वाले कहते हैं कि हो न हो सपा में अमर सिंह की फिर से वापसी होने वाली है। लेकिन, हफ्तेभर पहले खुद अमर सिंह ने इन अटकलों पर विराम लगाने वाली टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था- सपा में शामिल होने के लिए न कभी दरख्वास्त दी है, न दूंगा। यही नहीं दो कदम आगे बढ़कर वे बोले थे- मुझे अर्थी मंजूर है, सपा में टिकटार्थी बनना मंजूर नहीं। मतलब साफ है। मेल-मुलाकातें चाहें जितनी हों, एक दूसरे की तारीफों के पुल भी खूब बांधे जांए लेकिन, सपा सुप्रीमो और पार्टी के पूर्व महासचिव के बीच कहीं कुछ शंका-शुबह तो जरूर है जो इस 21 साल पुरानी जोड़ी की फिर से एक हो जाने से रोक रही है।

मेरी मुलाकात में राजनीति क्यों ढूंढते हो: अमर
सपा के पूर्व महासचिव इस हफ्ते लखनऊ में थे। उन्होंने मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के आवास पर दो घंटे बिताया। बाहर निकले तो पत्रकारों ने घेर लिया। मुलाकात पर सवाल दागे तो बोले-मेरी मुलाकात में राजनीति क्यों ढ़ूंढ़ते हो? वे कहते हैं मेरे लिए व्यक्तिगत संबंध राजनीति से ऊपर है। निजी संबधों के लिए सौ बार राजनीति कुर्बान कर सकता हूं। मुलायम परिवार से नजदीकी रिश्ते की बात कहते हुए वे कहते हैं- परिवार के सभी लड़के मुझे अंकल कहते हैं। यदि शिवपाल यादव के बेटे की शादी होगी तो मैं क्या आशीर्वाद देने नहीं जाऊंगा। इसी तरह अखिलेश यादव से संबंधों के बारे में वे कहते हैं- अखिलेश से मेरे राजनीतिक संबंध नहीं हैं। मैं भतीजे अखिलेश को जानता हूं, मुख्यमंत्री अखिलेश को नहीं।

ये भी पढ़िए- मुलायम बोले- कभी दिल से नहीं निकाला

मुलायम बड़े दिल के नेता
अमर सिंह सपा सुप्रीमो के लिए कहते हैं- मुलायम सिंह यादव बड़े दिल के नेता हैं। वे धुर विरोधियों का भी बहुत सम्मान करते हैं। विरोधियों को बगल में बिठाकर पहले उनका काम करते हैं। मैं मुलायम सिंह से स्नेह करता हूं, उनका आदर करता हूं। उनसे मिलने के लिए मुझे पार्टी के लाइसेंस या सरकार की स्वीकृति की जरूरत नहीं। लेकिन, मैं यदि उनके जन्मदिन में या उनके बीमार होने पर मिलने चला जाऊं तो राजनीति ढूढ़ी जाती है। मैं उनसे जीवनभर मिलूंगा।

अर्थी मंजूर, टिकटार्थी होना मंजूर नहीं
इसी 27 जनवरी को अमर सिंह का जन्मदिन था। इसके दो दिन पहले एक अखबार को दिए गए साक्षात्कार में उन्होंने समाजवादी पार्टी में दोबारा शामिल होने की अटकलों पर अपनी बेबाक राय रखी थी। उन्होंने कहा- सपा में शामिल होने के लिए न कभी दरख्वास्त दी है, न दूंगा। वे कहते हैं मुझे अर्थी मंजूर है, सपा में टिकटार्थी बनना मंजूर नहीं।

ये भी पढ़िए- तो क्या फिर जागा मुलायम का अमर प्रेम , ठाकुर को दे सकते हैं B day gift

अतीत था सुनहरा
बात 1995 की है। तब, उप्र में मुलायम और अमर की राजनीतिक जोड़ी बनी थी। जल्द ही इस जोड़ी की पांच सितारा होटलों में फिल्मी पार्टियां होने लगीं। खांटी समाजवादी नेता की चौखट पर जयाप्रदा, संजय दत्त, अमिताभ बच्चन, जया बच्चन, मनोज तिवारी जैसे कई फिल्मी सितारों की आवक-जावक होने लगी। यह सिलसिला 14 साल तक चला। लेकिन, इस इस चमक-दमक के बीच समाजवादी पार्टी के कई खांटी नेता हाशिये पर चले गए । कुछेक खुद-ब-खुद किनारे हो गए। कई किनारे लगा दिए गए। …और एक दिन वह भी आया, जब 27 फरवरी 2010 में देश की यह सबसे चर्चित राजनीतिक जोड़ी टूट गई। पार्टी में अमर सिंह की दखलंदाजी बढ़ती गई। पानी सिर से ऊपर बढ़ गया। खुद सपा सुप्रीमो के भाई सहित तमाम अन्य वरिष्ठ कार्यकर्ता पार्टी से जुड़े रहने में असमर्थता जताने लगे। सपा के पूर्व सितारे राजबब्बर पार्टी छोड़ गए। सपा के मुस्लिम चेहरा माने जाने वाले आजम खां सख्त नाराज हो गए। आजम और अमर की तल्खी आज भी जग-जाहिर है। पार्टी टूट के कगार पर खड़ी थी। तब मुलायम सिंह को तत्कालीन महासचिव अमर सिंह को न केवल पद से हटाना पड़ा, बल्कि छह साल के लिए दल से निष्काषित भी करना पड़ा।

बढ़ी पार्टी की अहमियत
सपा से अमर सिंह के निष्कासन के बाद माना जा रहा था कि ठाकुर नेता और क्षत्रिय वोट बैंक समाजवादी पार्टी से दूर हो जाएगा। लेकिन, यह सब आशंकाएं निर्मूल साबित हुईं। अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव के नेतृत्व में पार्टी ने उत्तर प्रदेश में धमाकेदार वापसी की। यह अलग बात है कि दिल्ली की मीडिया में पार्टी का चेहरा रहे अमर सिंह की जगह सपा को खलती रही। इस बीच अमर सिंह ने भी लोकदल के नाम से एक असफल राजनीतिक पारी भी खेली। इस बीच पार्टी से अमर सिंह का छह साल का निष्कासन का वक्त खत्म हो गया है। लेकिन, उनकी पार्टी में वापसी की राहें आसान नहीं दिखतीं।

इस प्रेम का मतलब कहीं ठाकुरों की वोट बैंक तो नहीं?
राजनीतिक पंडितों का मानना है कि मुलायम का अमर प्रेम 2017 के विधान सभा से चुनाव से जुड़ा है। उनकी जाति को जोड़कर चुनाव जीतने का जुगाड़ साधने में मुलायम लगे हैं। सूबे के सियासी मुस्तकबिल की रेखाएं खींचने वाली तीन प्रमुख जातियां हैं- यादव, ठाकुर और ब्राह्मण। ओबीसी की सबसे बड़ी जाति यादव है। इसको मुलायम ने साध रखा है। अन्य पिछड़ी जातियां भी उनके साथ हैं। ब्राहमणों को जोडऩे के लिए जनेश्वर मिश्र के नाम पर सरकार कई योजनाएं चला ही रही है। ठाकुर पूरे प्रदेश में फैले हैं। प्रत्येक विधानसभा में उनकी औसत उपस्थिति 5 से 6 फीसदी के बीच है। पूर्वांचल के जिलों में ठाकुर और भूमिहार मतदाताओं की हिस्सेदारी 10 प्रतिशत से ज्यादा है। गोरखपुर, कुशीनगर, देवरिया, आजमगढ़, मऊ, बलिया, जौनपुर, गाजीपुर, चंदौली, वाराणसी, मथुरा, आगरा, हरदोई, उन्नाव, रायबरेली, सुलतानपुर, प्रतापगढ़, बांदा, चित्रकूट जैसे जिलों में ठाकुर मतदाता निर्णायक स्थिति में होते हैं। ऐसे में मुलायम सिंह नहीं चाहते कि ठाकुरों को किसी तरह से नाराज किया जाए। भले ही अमर सिंह की जमीनी नेता न हों लेकिन उनके प्रति आज भी ठाकुरों की सिमैथी तो है ही। ऐसे में तीसरे सबसे बड़े वोट बैंक को क्यों कोई नेता खोना चाहेगा?

पार्टी में वापसी की बड़ी बाधा हो सकते हैं मुस्लिम वोट?
प्रदेश में 20 जिले ऐसे हैं, जहां मुस्लिम मतदाताओं की संख्या सबसे ज्यादा है। किसी भी दल की सरकार बनाने बिगाडऩे में इनका अहम रोल होता है। यही नहीं 20 जिलों में मुसलमान दूसरा सबसे बड़ा वोट बैंक है। इन वोटों के बलबूते समाजवादी पार्टी अपनी जीत सुनिश्चित करती रही है। सपा सुप्रीमो अमर सिंह को पार्टी में वापस लाकर मुस्लिम वोट को खोने का रिस्क कतई नहीं लेना चाहेंगे। समाजवादी पार्टी के वरिष्ठ नेता आजम खान और अमर सिंह के बीच ३६ का आंकड़ा है। 42 फीसदी से अधिक मुस्लिम मतदाताओं की रामपुर सीट की नुमाइंदगी करने वाले आजम खां का प्रभाव पश्चिमी उप्र की कुछ सीटों पर तो है ही वे सपा में मुस्लिम वर्ग का बड़ा चेहरा भी हैं। शायद यही मजबूरी है कि चाहकर भी मुलायम सिंह अमर को पार्टी में नहीं ला पा रहे हैं।

Home / UP Special / ..तो इसलिए दल में नहीं दिल में हैं अमर सिंह

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो