कहानी…
गौरव (सिद्धार्थ) मियामी में एक कंपनी में काम करता है। वह इतना सीधा है कि घर पर खाना बनाता है। कार स्पीड लिमिट में चलाता है और दूसरों से अदब से पेश आता है यानी उसमें सभ्य-सुशील लडक़े की सभी खूबियां हैं। उसकी जिंदगी में ३१ महीनों से एक लडक़ी है काव्या (जैकलीन)। उसे रिस्क और एडवेंचर पसंद है यानी वह गौरव के उलट है। गौरव, काव्या को पसंद करता है, पर अपने प्यार का इजहार नहीं कर पाता। वहीं, कहानी में एक और कैरेक्टर है ऋषि, जो गौरव का हमशक्ल है और इंडिया में यूनिट एक्स के लिए काम करता है। वह खतरों का खिलाड़ी है और यूनिट एक्स के हैड व अपने गॉडफादर कर्नल (सुनील शेट्टी) के बताए कामों को अंजाम देता है। लेकिन बाद में वह यह काम छोड़ देता है। कुछ सालों बाद गौरव अपनी कंपनी के काम के सिलसिले में मुंबई आता है। उस पर कर्नल की टीम के लोगों की नजर पड़ जाती है। फिर कुछ हल्के-फुल्के ट्विस्ट्स के साथ कहानी आगे बढ़ती है।
एक्टिंग
सिद्धार्थ ने सभ्य-सुशील लडक़े के साथ ही हाई-ऑक्टेन एक्शन करने वाले एजेंट का रोल ठीक-ठाक निभाया है। उन्होंने बुलेट और बाइक्स का भी खूब इस्तेमाल किया है, पर इम्प्रेसिव नहीं लगते। जैकलीन गॉर्जस लगी हैं, लेकिन एक्टिंग के नाम पर कुछ नहीं है। विलेन के रोल में दर्शन कुमार और सुनील शेट्टी बेहद कमजोर हैं। उनके डायलॉग्स भी बेदम हैं। हुसैन दलाल और अमित मिस्त्री जरूर अपने कॉमिक दृश्यों से गुदगुदाते हैं।
डायरेक्शन
स्टोरी उलझी हुई है, वहीं स्क्रीनप्ले भी सुस्त है। इस एक्शन फिल्म में डायलॉग्स इतने इरिटेटिंग हैं कि लगता ही नहीं, यह एक्शन जोनर की फिल्म है। राज एंड डीके निर्देशन की कमान टाइट नहीं रख पाए, जिससे दर्शक फिल्म से जुड़ नहीं पाता। गीत-संगीत कमजोर है। कोई भी ऐसा गाना नहीं, जो याद रहे। एडिटिंग की काफी गुंजाइश है, हालांकि कैमरा वर्क और लोकेशंस खूबसूरत हैं। एक्शन सीक्वेंस जबरदस्त हैं। यही फिल्म का बेस्ट पार्ट है।
क्यों देखें…
अगर आप खुद को खतरों का खिलाड़ी मानते हैं, तो ही इस तथाकथित सुंदर और सुशील ‘जेंटलमैन’ को देखने का रिस्क उठाएं वर्ना बॉलीवुड के ‘स्टूडेंट ऑफ द ईयर’ सिद्धार्थ की यह फिल्म आपके लिए ‘एक विलेन’ साबित हो सकती है।