एंटरटेनमेंट डेस्क। फिल्म नीरजा का इंतजार खत्म हुआ। शुक्रवार को जैसे ही फिल्म रिलीज हुई, टिकट विंडो पर दर्शक टूट पड़े । हालांकि मल्टीप्लैक्स में इसकी एडवांस बुकिंग की वजह से दर्शकों को मायूस भी लौटना पड़ा। बता दें कि रीयल घटना पर बनी फिल्म नीरजा शुरू से लेकर आखिर तक कुर्सी से बांध रखती है। दर्शक इधर से उधर नहीं होते। दरअसल उन्हें लगता है कि कहीं कोई सीन मिस न हो जाए। यही इस फिल्म की यूएसपी है। यह एक ऐसी फिल्म है, जिसके लिए रेटिंग कोई मायने नहीं रखता। हां, दर्शक फिल्म के आखिर में नीरजा भनोट के अदम्य साहस, शक्ति और बहादुरी को सलाम जरूर करें।
सर्वश्रेष्ठ अभिनय, उम्दा निर्देशन
वैसे तो फिल्म में कई कैरेक्टर हैं, लेकिन पूरी फिल्म सोनम कपूर यानी नीरजा पर गढ़ी गई है। सबसे ज्यादा कैमरा भी सोनम के ऊपर रहा, इस कारण कह सकते हैं कि अभिनय की दृष्टिकोण से नीरजा सोनम के लिए माइल स्टोन है… अब तक की एक सर्वश्रेष्ठ फिल्म।फिल्म की कहानी न सिर्फ काफी दमदार है, बल्कि असरदार भी है। बहुत ही खूबसूरती के साथ नीरजा के पास्ट, प्लने हाईजैक जैसी घटनाओं को मोती के माले की तरह पिरोया गया है। इसके लिए निर्देशक राम माधवानी भी सलामी के हकदार हैं।
एक सच्ची हाईजैक की घटना पर आधारित इस फिल्म में कई ऐसी घटनाएं होती हैं, जो धड़कने बढ़ाती हैं। खासकर हाईजैकर्स द्वारा पैसेंजर्स पर किए गए अत्याचार। इस फिल्म के निर्देशन की खास बात यह है कि इसे बिल्कुल रियलिस्टिक अंदाज में पेश किया गया है। गोयाकि राम माधवानी का निर्देशन, सोनम और शबाना आजमी के बेजोड़ अभिनय का ही कमाल है कि दर्शकों को बांधे रखता है। इस फिल्म की मेकिंग की तुलना किसी भी इंटरनेशनल हाईजैकिंग फिल्म से की जा सकती है।
देशभक्ति का जज्बा जगाती नीरजा
एयरलिफ्ट के बाद नीरजा आपमें इंसानियत और देशभक्ति का जज्बा जगाती है। ये अहसास केवल फिल्म देखकर ही महसूस किया जा सकता है। ये फिल्म सिर्फ हाईजैकिंग ही नहीं, बल्कि मानवीय पहलुओं को भी बखूबी दर्शाती है।
सच्ची कहानी पर आधारित है फिल्म
राम माधवानी के डायरेक्शन में बनी यह फिल्म एयर होस्टेस नीरजा भनोट की लाइफ पर आधारित है। 1986 में कुछ आतंकवादियों ने पैन-एम 73 यात्री विमान को हाइजैक कर लिया था। इसी दौरान फ्लाइट अटेंडेंट नीरजा भनोट ने अपनी जान गंवाकर फ्लाइट में मौजूद 360 लोगों की जान बचाई थी। नीरजा की उम्र तब केवल 23 साल थी। उनकी इस बहादुरी के लिए उन्हें अशोक चक्र से सम्मानित किया गया, वह इसे पाने वाली पहली सबसे कम उम्र की महिला थीं।
कहानी
फिल्म शुरू होती है कराची से, जहां कुछ आतंकवादी इंडिया से कराची होकर अमरीका जाने वाली फ्लाइट को हाईजैक करने की तैयारी कर रहें हैं। दूसरी तरफ बॉम्बे में नीरजा (सोनम कपूर) अपने परिवार के साथ रहती हैं और सबकी लाडली हैं। नीरजा राजेश खन्ना की बहुत बड़ी फैन हैं और बात-बात में उनकी फिल्मों के डायलॉग मारती हैं। नीरजा मॉडल भी हैं और पैन एम फ्लाइट की फ्लाइट अटेंडेंट भी हैं।
नीरजा की मां( शबाना आजमी) नीरजा के काम को लेकर अक्सर डरती रहती हैं। एक सीन में जब नीरजा अपनी आखिरी फ्लाइट के लिए निकल रही होती हैं, तब उनकी मां कहती हैं कि जब भी नीरजा का फ्लाइट टेक ऑफ होता है उनका ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और तब नार्मल होता है, जब वो फ्लाइट से उतरती है। ये सीन बेहद इमोशनल है और दर्शाता है कि कैसे एक मां का दिल अपनी औलाद पर आने वाले खतरे को पहले ही भांप लेता है।
नीरजा पैन एम फ्लाइट 73 को पकड़ती हैं, जो मुंबई से कराची पहुंचता है। कराची में चार आतंकवादी इस प्लेन को हाइजैक कर लेते हैं। आतंवादियों के प्लान के मुताबिक उन्हें प्लेन को साइप्रेस देश ले जाना था और वहां जेल में कैद उनके साथी को छुड़वाना था, लेकिन नीरजा सही वक्त पर पायलट्स को इस हाइजैक के बारे में मैसेज पहुंचा देती हैं और पायलट्स वहां से निकल भागते हैं, लिहाजा आतंकवादियों का आधा प्लान चौपट हो जाता है। आगे नीरजा किस तरह बहुदारी से लोगों की जान बचाती है ये दिखाया गया है। नीरजा अपने साहस और समझदारी से आतंकवादियों के सामने लोगों को समय-समय पर खाना पीना भी देती रहती हैं। नीरजा अपनी हिम्मत से ना केवल आतंवादियों के बड़े प्लान को फ्लॉप करती हैं, बल्कि सैकड़ों लोगों की जान भी बचाती हैं।
खास बातें…
-फिल्म बेहद इमोशनल है। फिल्म के क्लाइमेक्स में इतना दर्द है कि आंसू नहीं थमते।
-महसूस होता है कि असल नीरजा ने किस तरह अपनी जान पर खेलकर लोगों की जान बचाई।
-फिल्म का म्यूजिक अच्छा है। फिल्म के क्लाइमेक्स में जीते हैं चल…. गाना बहुत खूबसूरत लगता है।
रेटिंग: 5/5
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