आर्यन शर्मा/जयपुर. करीब डेढ़ साल पहले आई फिल्म ‘जब हैरी मेट सेजल’ के बॉक्स ऑफिस पर फ्लॉप हो जाने के बाद शाहरुख खान की उम्मीदें ‘जीरो’ पर टिकी हुई हैं। आनंद एल राय निर्देशित इस फिल्म में शाहरुख को बौने अवतार में देखने के लिए दर्शकों में भी काफी उत्सुकता रही है। फिल्म में शाहरुख बउआ सिंह के रूप में छा जाते हैं, पर कहानी में झोल होने के कारण मूवी उतनी एंटरटेनिंग नहीं है, जितनी उम्मीद की जा रही थी। यह कहानी है मेरठ के रहने वाले बउआ सिंह (शाहरुख खान) की। कम हाइट होने के कारण वह 38 साल की उम्र में भी कुंवारा है। अपनी कम हाइट के कारण वह अपने पैरेंट्स पर भी खीझ निकालता रहता है। वह फिल्म स्टार बबिता कुमारी (कैटरीना कैफ) का दीवाना है और उसके साथ के सपने देखता रहता है। इस बीच वह मैरिज ब्यूरो के माध्यम से स्पेस साइंटिस्ट आफिया युसूफजई भिंडर (अनुष्का शर्मा) से मिलता है। आफिया सेरेब्रल पाल्सी से पीडि़त है। परिस्थितियां दोनों को करीब ले आती हैं और उनकी शादी तय हो जाती है। जब वह घोड़ी पर सवार होकर शादी करने जा रहा होता है तो उसका दोस्त गुड्डू (मोहम्मद जीशान अयूब) उसे एक लिफाफा देता है और बताता है कि वह डांस कॉम्पीटिशन के लिए सलेक्ट हो गया है। इस डांस कॉम्पीटिशन के विनर को बबिता कुमारी से मिलने का मौका मिलने वाला है, लिहाजा बउआ शादी को छोड़कर मुंबई भाग जाता है। इसके बाद कुछ उतार-चढ़ाव के साथ कहानी अंजाम तक पहुंचती है।
कम्प्लीट एंटरटेनर बनाने में चूक गए आनंद
‘जीरो’ का कमजोर पक्ष इसकी स्टोरी है, जो बिखरी हुई है। स्क्रीनप्ले विटी है मगर क्रिस्पी नहीं है। पहला हाफ मजेदार है, पर सैकंड हाफ में कहानी डगमगाने लगती है। डायलॉग्स में ह्यूमर है। ‘तनु वेड्स मनु’, ‘रांझणा’, ‘तनु वेड्स मनु रिटर्न्स’ निर्देशित कर चुके आनंद ने ‘जीरो’ में कोशिश अच्छी की है, लेकिन कम्प्लीट एंटरटेनर बनाने में उनसे चूक हो गई। वीएफएक्स इम्प्रेसिव हैं। बउआ सिंह के रोल में शाहरुख की अदाकारी जबरदस्त है। वह अपनी इशकबाजी से जियरा में बस जाते हैं। उन्होंने कुछ अलग ट्राइ किया है, साथ ही रोमांस में अपना अंदाज पकड़े हुए हैं। अनुष्का ने चैलेंजिंग किरदार अच्छे से अदा किया है। कैटरीना कैफ इमोशनली कमजोर लड़की की भूमिका बढिय़ा ढंग से निभा गई हैं। बउआ के दोस्त के रोल में जीशान जमे हैं। सपोर्टिंग कास्ट का काम ठीक-ठाक है। कैमियो में सलमान खान आकर्षित करते हैं। म्यूजिक ठीक है, पर एडिटिंग से फिल्म को टाइट किया जा सकता था। फिल्मांकन आकर्षक है।
क्यों देखें : फिल्म एक व्यंजन की तरह होती है, जिसे बनाते समय किसी भी इन्ग्रीडिएंट्स में कमी रह जाए तो स्वाद में उतना मजा नहीं आता। ‘जीरो’ में स्टोरी में कमी रह गई। ऐसे में अगर आप शाहरुख खान के फैन हैं तो ‘जीरो’ देख सकते हैं।
रेटिंग : 2.5 स्टार