इंदौर। हिन्दू धर्म के अनुसार करवाचौथ का व्रत सबसे पवित्र माना जाता है। करवाचौथ स्त्रियों का मुख्य सबसेे मुख्य त्यौहार है जिसमें वे अपने पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना करती हैं। छांदोग्य उपनिषद के अनुसार चंद्रमा में पुरूष रूपी ब्रम्हा की उपासना करने से सारे पाप नष्ट हो जाते हैं। हर महिला को इस दिन का बेसब्री से इंतजार होता है।
यह व्रत हर महिला अपने रिवाजों के अनुसार करती है और अपने पति कके दीर्घायु और अच्छे सेहत के लिए प्रार्थना करती है। इस व्रत में पूजन विधि का बहुत महत्व होता है और यदि इस व्रत को सही विधि विधान के अनुसार न किया जाए तो इस व्रत का फल नहीं मिलता। आइए जानते हैं कि करवाचौथ की सही विधि क्या है और आपको इसका फल कैसे प्राप्त हो सकता है।
पूजन विधि:
– सूर्योदय से पहले स्नान करें और व्रत का संकल्प लें। व्रत के दिन निर्जला रहें यानि जलपान पा करें।
– प्रात: पूजा के समय इस मन्त्र के जप से व्रत प्रारंभ करें- ‘मम सुखसौभाग्य पुत्रपौत्रादि सुस्थिर श्री प्राप्तये करक चतुथीज़् व्रतमहं करिष्ये।’
– अब जिस स्थान पर आप पूजा करने वाले हैं उस दीवार पर गेरू से फलक बनाकर चावल को पीसें। इस घोल से करवा चित्रित करें। इस विधि को करवा धरना कहा जाता है।
– अब आठ पूरियों की अठावरी बनाकर उसके साथ हलवा बनाएं और पक्के पकवान भी बनाएं।
– पीली मिट्टी से गौरी की मूर्ति बनराएं और उनकी गोद में गणेशजी को विराजमान करें।
– मां गौरी को लकडी के सिहांसन पर बिठाएं और लाल रंग की चुनरी ओढाकर उन्हें अन्य श्रंृगार की सामग्री अर्पित करें। अब इसके सामने जल से भरा कलश रखें।
– वायना (भेंट) देने के लिए मिट्टी का टोंटीदार करवा लें। गेहूं और ढक्कन में शक्कर का बूरा भर दें। उसके ऊपर दक्षिणा रखें। रोली से करवे पर स्वास्तिक बनाएं।
– अब विधि पूवर्क गौरी गणेश की पूजा करें और करवाचौथ की कथा का पाठ करें।
– पूजा के पश्चात घर के सभी वरिष्ठ जनों के चरण स्पर्श करें और उनका आशीर्वाद लें।
– रात्रि में चन्द्रमा निकलने के बाद छलनी की ओट से उसे देखें और चन्द्रमा को अर्ध्य दें।
– इसके बाद पति से आशीवाज़्द लें। उन्हें भोजन कराएं और स्वयं भी भोजन कर लें।
Home / MP Religion & Spirituality / ये है करवाचौथ पूजन की सही विधि, पीली मिट्टी से ही बनाएं गौरी की मूर्ति