चिंताओं का परित्याग करके अपना कर्म करो
संकट या विपत्तियों का निवारण करने के लिए बाहरी निर्दोष उपाय करने में कोई बुराई नहीं है परंतु उससे विपत्ति नाश हो ही जाएगी, ये दावे से नहीं कहा जा सकता। क्योंकि उसमें अत्यंत सीमित व शुद्ध शक्ति होती है। यदि प्रयास के साथ-साथ ईश्वर की महानता पर भी विश्वास हो तो निश्चय ही हम दुखों से मुक्त हो सकते हैं।