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मुंबई

अशोक वाजपेयी परिवार पुरस्कार से सम्मान

भाषा और ईश्वर मनुष्य की सबसे क्रांतिकारी खोज है

मुंबईApr 07, 2019 / 06:01 pm

Devkumar Singodiya

अशोक वाजपेयी परिवार पुरस्कार से सम्मान

अशोक वाजपेयी परिवार पुरस्कार से सम्मान

मुंबई. मुंबई के इंडियन मर्चेंट्स चेंबर का वालचंद्र हीराचंद हॉल में शनिवार को साहित्यकार , कवियों की उपस्थिति माहौल को गरिमामयी बना रही थी। मौका था हिंदी साहित्यकार कवि अशोक वाजपेयी को परिवार पुरस्कार 2018 से सम्मानित करने का। आयोजन में मुंबई के विविध क्षेत्रों से इस कार्यक्रम में शामिल होने पहुंचे कवियों-कथाकारों और लेखकों को अशोक वाजपेयी ने अपनी कविताओं से मुग्ध कर दिया। उन्होंने पांच कविताएं सुनाई। अपने चुटिले अंदाज में आज के समय और साहित्य पर अपने विचार रखे।
वाजपेयी ने कहा कि आज के समय में सबसे ज्यादा भाषा के साथ अनाचार हो रहा है। भाषा और ईश्वर मनुष्य की सबसे क्रांतिकारी खोज है। कहने को तो हिंदी को जीने वाले 50 करोड़ लोग हैं, पर कुछ हजार लोग ही हिंदी की चिंता कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि कविता सोचने की जमीन देती है। वह इंसान के भीतर बेचैनी भरती है। उन्होंने कहा कि पूर्ण कविता वह है जिसमें सवाल होते हैं। वाजपेयी ने सुनाया…लिखो कि जब वक्त मिले जो इतिहास उन्हें पहचान सके, जो तरह-तरह के मुखौटों में हत्यारे थे और जिन्होंने सुघरता से उनकी अंत्येष्टि की, जो सिर्फ होने के कारण मार कर फेंक दिए गए…।
हरि मृदुल ने वाजपेयी की कविताओं पर पर्चा पढ़ा। जिसमें वाजपेयी के जीवन और कविताओं पर प्रकाश डाला गया। विजय कुमार ने कहा अशोक वाजपेयी की कविता समाज के सामने सवाल खड़े करती हैं। उन्होंने भाषाओं को बचाने की मुहिम चला रखी है। छह दशकों की यात्रा में आज भी कविता वही उर्जा है। सुंदर चंद्र ठाकुर ने कहा उनकी कविताओं में दर्शन है आध्यात्म है। समारोह की अध्यक्षता नंदलाल पाठक ने की। मुख्य अतिथ के रूप में शांता गोखले, विशिष्ठ अतिथि विश्वनाथ सचदेव, अतिथि विशेष सुंदर चंद्र ठाकुर प्रमुख वक्ता विजय कुमार आदि मौजूद रहे।

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