Bombay High court : महामारी के दौर में जिम्मेदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकते
- एक जन हित याचिका पर सुनवाई के दौरान बांबे हाईकोर्ट की औरंगाबाद खंडपीठ की तल्ख टिप्पणी
- कोर्ट के आदेश के बावजूद कोरोना रोकथाम उपाय योजना के इंचार्ज कई अधिकारी अभी भी ड्यूटी पर नहीं लौटे हैं
- मामले की सुनवाई जस्टिस टीवी नलावडे और जस्टिस एसडी कुलकर्णी के समक्ष हुई

पत्रिका न्यूज नेटवर्क
औरंगाबाद. महामारी के दौर में अधिकारी जनसेवा से जुड़ी जिम्मदारी से पल्ला नहीं झाड़ सकते। यदि कोई अधिकारी खुद को महामारी से बचाने के लिए ड्यूटी से गैर-हाजिर रहता है, तो यह माना जा सकता है कि उनकी कोई जरूरत नहीं है। आपराधिक कार्रवाई के जरिए ऐसे अधिकारी हटाए जा सकते हैं। वक्त की मांग है कि अधिकारी जनता की सेवा करें। इस मामले में जरा-सी भी लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। एक जन हित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह तल्ख टिप्पणी बांबे हाईकोर्ट की औरंगाबाद खंडपीठ ने की।
मामला कोरोना ड्यूटी में लापरवाही से जुड़ा है। 3 जुलाई को सुनवाई के दौरान अदालत ने आदेश दिया था कि अधिकारी पूरी जिम्मेदारी से ड्यूटी करें। बुधवार को मामले की सुनवाई जस्टिस टीवी नलावडे और जस्टिस एसडी कुलकर्णी के समक्ष हुई। वरिष्ठ वकील राजेंद्र देशमुख ने बताया कि कोर्ट के आदेश के बावजूद कोरोना रोकथाम उपाय योजना के इंचार्ज कई अधिकारी अभी भी ड्यूटी पर नहीं लौटे हैं। अधिकारियों की अनुशासनहीनता पर देशमुख ने सवाल उठाए।
9 दिन का लॉकडाउन
सरकारी वकील डीके काले ने लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ अब तक की गई कार्रवाई का विवरण कोर्ट को दिया। काले ने यह भी बताया कि कोरोना की रोकथाम के लिए औरंगाबाद में शुक्रवार से 9 दिन का लॉकडाउन लागू किया जाएगा।
अस्पतालों पर हो सख्ती
अदालत ने जिला पुलिस अधीक्षक (एसपी) की ओर से निजी अस्पतालों को जारी कारण बताओ नोटिस पर भी गौर किया। अदालत ने एसपी से पूछा कि अस्पतालों का जवाब पेश क्यों नहीं किया। कोर्ट ने कहा कि उन अस्पतालों के खिलाफ सख्त कार्रवाई होनी चाहिए जो सरकारी आदेशानुसार आरक्षित बेड पर मरीजों को भर्ती नहीं कर रहे हैं।
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