कोर्ट ने मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन को कहा कि पौष्टिक खाने की तुलना बाहर के जंक फूड से नहीं की जा सकती। मल्टीप्लेक्स में बच्चों से लेकर हर उम्र के लोग सिनेमा देखने जाते हैं, आप सभी को जंक फूड के लिए बाध्य नहीं कर सकते। अदालत ने कहा कि अगर आप लोगों को थिएटर में घर का बना खाना खाने से रोकेंगे तो इसका मतलब आप जंक फूड को बढ़ावा दे रहे हैं।
मल्टीप्लेक्स ऑनर एसोसिएशन की तरफ से वकील ने दलील दी कि यह बिजनेस के लिहाज से है, इसलिए मल्टीप्लेक्स के अंदर सामान की कीमतें रेगुलेट नहीं की जा सकतीं। भविष्य में यदि लोग मांग करेंगे कि वो रेस्टोरेंट में भी अपना खाना लेकर जाएंगे, तो क्या इसकी इजाजत दी जा सकती है? इस पर कोर्ट ने कहा कि मल्टीप्लेक्स और थियेटर में खाने का सामान बेचना अतिरिक्त बिजनेस है ना कि मुख्य व्यवसाय। जबकि रेस्टोरेंट का मुख्य व्यवसाय खाना बेचना है इसलिए दोनों की तुलना नहीं की जा सकती।