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मुंबई

बॉम्बे हाईकोर्ट ने पूछा मल्टीप्लेक्स में बाहर का खाना ले जाने से सुरक्षा को खतरा कैसे?

कोर्ट ने मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन को कहा कि पौष्टिक खाने की तुलना बाहर के जंक फूड से नहीं की जा सकती…

मुंबईAug 08, 2018 / 08:18 pm

Prateek

(पत्रिका ब्यूरो,मुुंबई): बॉम्बे हाईकोर्ट ने बुधवार को महाराष्ट्र सरकार से सवाल किया कि मल्‍टीप्‍लेक्‍स में बाहर का खाना ले जाना सुरक्षा के लिए खतरा कैसे हो सकता है ? कोर्ट ने लोगों को मल्‍टीप्‍लेक्‍स में खाना साथ ले जाने की याचिका पर सुनवाई करते हुए मल्टीप्लेक्स ऑनर एसोसिएशन को भी फटकार लगाई। न्यायालय ने एसोसिएशन से कहा कि आपका काम सिनेमा दिखाना है, न कि खाना बेचना। याची जेनेंद्र बक्शी की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस रंजीत मोरे और जस्टिस अनुजा प्रभुदेसाई की पीठ ने बुधवार को सुरक्षा के मसले पर कहा कि सिनेमा घरों में लोगों की मेटल डिटेक्टर से जांच होती है। यदि यात्री खाना साथ लेकर यात्रा कर सकते हैं तो फिर मल्टीप्लेक्स में ऐसा क्यों नहीं हो सकता? यह सुरक्षा के लिए खतरा कैसे है? राज्य सरकार ने अपने हलफनामे में इस बात का जिक्र नहीं किया है कि इससे किस तरह से सुरक्षा के लिए खतरा पैदा हो सकता है।

 

कोर्ट ने मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन को कहा कि पौष्टिक खाने की तुलना बाहर के जंक फूड से नहीं की जा सकती। मल्टीप्लेक्स में बच्चों से लेकर हर उम्र के लोग सिनेमा देखने जाते हैं, आप सभी को जंक फूड के लिए बाध्य नहीं कर सकते। अदालत ने कहा कि अगर आप लोगों को थिएटर में घर का बना खाना खाने से रोकेंगे तो इसका मतलब आप जंक फूड को बढ़ावा दे रहे हैं।

 

मल्टीप्लेक्स ऑनर एसोसिएशन की तरफ से वकील ने दलील दी कि यह बिजनेस के लिहाज से है, इसलिए मल्टीप्लेक्स के अंदर सामान की कीमतें रेगुलेट नहीं की जा सकतीं। भविष्य में यदि लोग मांग करेंगे कि वो रेस्टोरेंट में भी अपना खाना लेकर जाएंगे, तो क्या इसकी इजाजत दी जा सकती है? इस पर कोर्ट ने कहा कि मल्टीप्लेक्स और थियेटर में खाने का सामान बेचना अतिरिक्‍त बिजनेस है ना कि मुख्‍य व्‍यवसाय। जबकि रेस्‍टोरेंट का मुख्‍य व्‍यवसाय खाना बेचना है इसलिए दोनों की तुलना नहीं की जा सकती।

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