डॉ. बाणावली ने कहा कि जारी की गई सूची के अनुसार, दवाओं को अपनाकर कैंसर को नियंत्रित किया जा सकता है। हालांकि, टाटा अस्पताल में इम्यूनोथेरेपी लेने वाले रोगियों का अनुपात बहुत कम है। वहीं भारत में आवश्यक दवाओं की सूची में दवाओं का उपयोग बहुत कम है। इन महंगी दवाओं का असर प्रभावी है। आवश्यक दवाओं की सूची में 28 दवाएं वयस्कों के लिए और 23 बच्चों के लिए उपलब्ध हैं। जबकि सार्वजनिक स्वास्थ्य की दृष्टि से कुल 460 दवाएं शामिल हैं तो वहीं इसमें 69 चिकित्सा परीक्षण भी शामिल हैं। इसमें एनीमिया, थायराइड, सिकल सेल होता है। रक्त आधान की सुरक्षा के लिए इस दृष्टिकोण में रक्त परीक्षण भी हैं। पिछले साल भी विश्व स्वास्थ्य संगठन ने आवश्यक दवाओं की सूची की घोषणा की थी, जिसमें क्षयरोग, एचआईवी, मलेरिया और पीलिया पर ध्यान केंद्रित किया गया था।
कैंसर रोकथाम और अनुसंधान विभाग की मानें तो 70 प्रतिशत से अधिक महिलाओं के कैंसर के रोगियों में गर्भाशय ग्रीवा और स्तन कैंसर है। इंडियन कैंसर इंस्टीट्यूट के अध्ययन के अनुसार, देश में सात प्रतिशत मरीज फेफड़े के कैंसर के हैं। क्योंकि उनमें से कई दूसरी या तीसरी श्रेणी में हैं, इसलिए उनकी मृत्यु दर अधिक है।