राजस्थानी मटकों की खूब मांग
मुंबई समेत राजस्थान एवं गुजरात जैसे क्षेत्रों से नवी मुंबई एवं पनवेल शहर में प्रतिदिन लगभग हजारों मटके बिक्री के लिए आ रहे हैं। नवी मुंबई शहर में कई स्थानों पर नर्सरी हैं, जहां इस बड़े पैमाने पर मटके बेचे जा रहे हैं। मटके की खूबसूरती बढ़ाने के लिए गेरुआ और सुरमा रंग से रंगाई करके उसे और आकर्षक बनाया जाता है। साथ ही उसमें चमक लाने के लिए पॉलिश किया जाता है, उसमें अलग-अलग किस्म के नल लगाए जाते हैं और गोलाकार मटकों को रखने के लिए उसके निचले हिस्से में सीमेंट का पैर बनाकर उसे सजाया जाता है। उसके बाद इन मटकों को विक्रेता शहर में थ्री व्हीलर या अपने सिर पर एक बड़ी टोकरी में लेकर बेचने निकल पड़ते हैं।
रोजगार का बड़ा साधन बना
मटके की मांग से रोजगार के अवसर पैदा हुए हैं। घनसोली में विक्रेता सिकंदर गुप्ता ने कहा, पांच से 12 लीटर का मटका 200 से 400 रुपए में है। वाशी में विक्रेता मुन्ना कुमार ने कहा, पांच से 15 लीटर तक के वेरायटी में मटका उपलब्ध है। कीमत 180 से 400 रुपए तक है। लाल गेरुआ कलर के मटके की तुलना में सफेद मटका बेहतर है, इस का पानी काफी ठंड रहता है। वाशी, कोपर खैरने, घनसोली, ऐरोली, तुर्भे, नेरुल आदि जगहों पर मटके की मंाग है।