mumbai news: जान हथेली पर रख कर कोरोना से मुकाबला
सेवा कार्य में जुटी हैं महिला आंगनवाड़ी कार्यकर्तापुणे के कई गांव पर मंडरा रहा संक्रमण का खतरा
mumbai news: जान हथेली पर रख कर कोरोना से मुकाबला
ओमसिंह राजपुरोहित
पुणे. एक आंगनवाड़ी कार्यकर्ता कई दिनों तक संक्रमित मरीजों की स्क्रीनिंग के काम में जुटी रही। इस बीच वह भी संक्रमित हो गई और यही कारण रहा कि उसका पूरा परिवार भी संक्रमित हो गया। इन सभी लोगो के कारण 28 गांवों तक संक्रमण का खतरा पहुंच गया। उच्च अधिकारियों को जब इस आंगनवाड़ी कार्यकर्ता के संक्रमित होने की जानकारी हुई तो उसे 12 दिनों तक वेंटिलेटर पर रखा गया। महिला कार्यकर्ता तीसरे स्टेज की संक्रमित है उसकी पहली रिपोर्ट नेगेटिव आई है दूसरे के आने का इंतजार है।
28 गांवों को क्वारेंटाइन किया
महिला कार्यकर्ता को पहले से दमे की बीमारी थी। पहले डॉक्टरों को लगा कि सांस लेने में दिक्कत दमे के कारण है और उसी का इलाज भी किया गया। इस बीच, महिला सर्वे का काम करती रही। 14 मार्च तक स्थिति बिगड़ गई। एक्स-रे में पता चला कि निमोनिया है। 16 मार्च को तबियत ज्यादा बिगड़ी तो उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया। 19 मार्च को कोरोना टेस्ट पॉजिटिव आया। इस पर प्रशासन ने हरकत में आते हुए 28 गांवों को क्वारैंटाइन किया, जहां महिला स्क्रीनिंग के लिए गई थी। फिर पति और 17 साल का बेटा भी कोरोना पॉजिटिव पाए गए।
परिवार के सदस्य भी हॉस्पिटल में रखे गये
महिला की बहन का परिवार भी कोरोना संक्रमित मिला, जिसके बाद सभी को होम क्वारेैंटाइन किया गया। इसके बाद परिवार को हॉस्पिटल में रखा गया। अब आंगनवाड़ी कार्यकर्ता की पहली रिपोर्ट निगेटिव आई है। उन्हें अब दूसरी रिपोर्ट निगेटिव आने की उम्मीद है। परिवार के बाकी सदस्य भी 11 दिन से हॉस्पिटल में हैं।
ठीक होने में सकारात्मक व्यवहार काम आया
महिला के ठीक होने में सबसे महत्वपूर्ण आसपास के लोगों का सकारात्मक व्यवहार रहा। कार्यकर्ता के पति और बहन ने उससे कहा था कि बीमारी कितनी भी भयंकर हो, पॉजिटिव बनी रहो। तुम जल्दी ठीक हो जाओगी। पुणे के डॉ. शिवकुमार अय्यर, डॉ. जिग्नेश शाह, डॉ. प्रशांत झेडगे और नर्स स्टाफ नेआंगनवाड़ी कार्यकर्ता का इलाज किया।
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