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सराहनीय: किसानों की खुदकुशी वाले विदर्भ की तस्वीर बदल रहा ग्रामायण

सराहनीय: किसानों की खुदकुशी वाले विदर्भ Vidarbha की तस्वीर बदल रहा ग्रामायणगोबर से खाद और गोमूत्र के उत्पाद बनाती हैं महिलाएं, हर महीने 5 से 16 हजार रुपए कमाईदेसी गायों के पालन के जरिए किसानों की विधवा-आदिवासी महिलाओं को रोजगार देने का लक्ष्य

मुंबईMay 10, 2022 / 07:28 pm

Chandra Prakash sain

सराहनीय: किसानों की खुदकुशी वाले विदर्भ की तस्वीर बदल रहा ग्रामायण

सराहनीय: किसानों की खुदकुशी वाले विदर्भ की तस्वीर बदल रहा ग्रामायण

मुंबई/नागपुर. खेती Farming में घाटे के चलते किसानों की खुदकुशी के लिए बदनाम महाराष्ट्र के विदर्भ में ग्रामोदय संस्था सराहनीय काम कर रही है। किसानों की विधवाओं और आदिवासी महिलाओं को आत्म निर्भर बनाने के लिए यह संस्था स्वरोजगार का सहारा दे रही है। गोबर Cow dung से खाद और गौ मूत्र cow urine से तरह-तरह के उत्पाद महिलाएं बनाती हैं। इससे प्रत्येक महिला हर महीने 5 से 16 रुपए कमा लेती है। महिलाएं Women के बनाए सामान बेचने में संस्था मदद करती है। कौशल Skill विकास कार्यक्रम के तहत जरूरी प्रशिक्षण दिया जाता है। नागपुर Nagpur जिले के 27 गांवों की सैकड़ों महिलाएं यह काम कर रही हैं। अकेले उमरेड शहर के आसपास के 10 गांव इसमें शामिल हैं। इससे होने वाली कमाई से न सिर्फ महिलाएं अपनी गृहस्थी चला रहीं बल्कि इलाके की तस्वीर भी बदल रही है।

खेती के साथ रोजगार जरूरी
ग्रामायण के प्रोजेक्ट employment प्रमुख विजय घुगे ने बताया कि छोटे कास्तकारों के सामने कई चुनौतियां होती हैं। केवल खेती से गृहस्थी नहीं चल सकती है। देसी गोवंश के पालन को प्रोत्सान की दिशा में संस्था 2015-16 से काम कर रही है। दो साल पहले उमरेड में हमने ग्रामीण महिलाओं को गोबर से खाद और गोमूत्र से अन्य उत्पाद बनाने की ट्रेनिंग दी। गाय पालन से दूध मिलता है। गोबर-गोमूत्र से भी अतिरिक्त आय हो रही है। खेती के लिए वित्तीय तंगी नहीं है।

हंसी-खुशी आगे आ रहीं महिलाएं
देसी गायें ज्यादा दूध नहीं देती हैं। जरूरत का दूध milk रख बाकी बेच देते हैं। एक गाय से रोजाना औसतन छह किलो गोबर मिलता है। इससे देसी खाद-केंचुआ खाद बनाई जाती है, जिसकी अच्छी कीमत मिलती है। गौरा, अगरबत्ती आदि भी बनाई जाती है। इन उत्पादों की भी बाजार में अच्छी मांग है। गोमूत्र से गोमूत्र आसव, पंचगव्य, टूथपेस्ट Toothpaste, शैंपू, फेस पाउडर, साबुन soap जैसे चार दर्जन उत्पाद बनाए जाते हैं। महिलाएं हंसी-खुशी यह काम कर रही हैं।

बिक्री में दिक्कत नहीं
घुगे ने बताया कि गाय के गोबर व गोमूत्र से तैयार उत्पादों की बिक्री में कोई दिक्कत नहीं है। पूजा सामग्री, जनरल स्टोर से लेकर बड़े मॉल्स में भी ये उत्पाद उपलब्ध हैं। नवरात्रि, दिवाली Diwaliजैसे त्योहारी अवसरों पर ज्यादा बिक्री होती है। पूजा-पाठ के लिए पूरे साल लोग इन्हें खरीदते हैं। कई विधवा महिलाएं सहजता से परिवार चला रही हैं।

पर्यावरण सुरक्षा
गौपालन में महिलाओं को स्वरोजगार देने के साथ संस्था पर्यावरण environment सुरक्षा पर भी काम कर रही है। उन्होंने बताया कि हमारे अभियान में शामिल महिलाएं व उनके परिवार घर-खेत में पेड़ भी लगाते हैं। गोबर की खाद से पेड़ दल्दी तैयार हो जाते हैं। इससे न सिर्फ गांवों में हरियाली आई है बल्कि पर्यावरण में प्रदूषण कम करने में भी मदद मिलेगी।

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