फॉरेंसिक ऑडिट में सामने आया कि सभी 25 समूहों पर डीएचएफएल का बकाया कर्ज करीब 1४ हजार करोड़ रुपए है। इनमें 15 कम्पनियों को दिए 7 हजार करोड़ का लोन गैर निष्पादित परिसम्पत्ति (एनपीए) में नहीं बदला गया, जबकि यह बकाया लम्बे समय से वापस नहीं आया। इन कंपनियों ने दूसरी कम्पनियों के प्रीफरेंस शेयरों की खरीद के लिए करीब 4 हजार करोड़ रुपए का निवेश भी कर दिया।
जांच में यह भी सामने आया कि डीएचएफएल ने बैंकों से जो 27 हजार करोड़ रुपए का लोन ग्राहकों को होम लोन लेने के नाम पर लिया, उसमें से करीब 10 हजार 50 करोड़ रुपए की राशि म्यूचुअल फंड (एमएफ) में निवेश कर दी। गत 6 जुलाई तक डीएचएफएल पर कुल कर्ज 83 हजार 873 करोड़ रुपए का था, जिसमें से 38 हजार करोड़ रुपए उसे बैंकों को देने हैं।
डीएचएफएल के मुंबई स्थित कई ठिकानों पर इडी ने इसलिए छापेमारी की कि उसके सनब्लिंक रियल एस्टेट कंपनी से कारोबारी संबंध हैं। डीएचएफएल ने इस कंपनी को 2 हजार 186 करोड़ रुपए का कर्ज दिया था। यह कर्ज इकबाल मिर्ची को स्थानांतरित कर दिया गया। मामले में सनब्लिंक कम्पनी भी जांच के घेरे में हैं।
डीएचएफएल पर छापेमारी ऐसे समय पर हुई है जब चालू वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही (अप्रेल से जून) के परिणामों की घोषणा हुई। इसके मुताबिक कम्पनी को जून तिमाही में 242.48 करोड़ रुपए का घाटा हुआ। पिछले वित्त वर्ष में इसी दौरान कम्पनी को 431.71 करोड़ रुपए का शुद्ध मुनाफा हुआ था। समीक्षा अवधि में कम्पनी की कुल आय घटकर करीब 2 हजार ४०० करोड़ रुपए रही, जो गत वर्ष की इसी अवधि में 3 हजार 154 करोड़ रुपए थी।