अजमेर ब्लास्ट में दोषी
अजमेर बम विस्फोट मामले में उसकी गिरफ्तारी के बाद कोर्ट ने उसे उम्र कैद की सजा सुनाई थी। तभी से वह अजमेर जेल में बंद था। उसपर 5 और 6 दिसंबर, 1993 को ही हैदराबाद में सीरियल ब्लास्ट के आरोप में भी केस चला, लेकिन उसमें वह 2015 में बरी कर दिया गया। हैदराबाद में कम तीव्रता वाले धमाके आईईडी से किए गए थे। वह पुणे के ब्लास्ट में भी आरोपी है। आरोप है कि यहां 1992 में बाबरी मस्जिद कांड के बाद उसने अपने साथियों के साथ मिल कर बम लगाए थे।
गिरणा नदी में बम धमाके का प्रयोग करने के अपराध में उसे मालेगांव की एक कोर्ट ने 2018 में 10 साल जेल की सजा सुनाई थी। उसके बाद अजमेर जेल में उम्र कैद की सजा काटते हुए वहां से 21 दिन की पैरोल पर बाहर आया था। मुंबई आने के बाद प्रति दिन सुबह 10.30 से 12 बजे के बीच आग्रीपाड़ा पुलिस स्टेशन में हाजिरी लगाता था। लेकिन, 16 जनवरी को सुबह घर से नमाज पढऩे के बहाने निकलने के बाद अचानक गायब हो गया। जब वह घर नहीं लौटा तो परिवार वालों ने उसकी गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराई। इसके बाद क्राइम ब्रांच और एटीएस उसकी तलाश में जुट गईं।
यूपी पुलिस ने जलीस के पास से 47 हजार 780 रुपए, एक पॉकेट डायरी, मोबाइल फोन और आधार कार्ड बरामद किया गया। महाराष्ट्र एटीएस ने अंसारी के गायब होने के बाद सबसे पहले यूपी पुलिस को सतर्क किया था। संभावना जताई थी कि वह उत्तर प्रदेश से नेपाल के रास्ते पाकिस्तान भाग सकता है। इससे पहले भी वह इसी रास्ते से बम बनाने की ट्रेनिंग लेने पाकिस्तान गया था।
कई आतंकी संगठनों से संबंध कई आतंकी संगठनों से ताल्लुक रखने वाले कुख्यात अंसारी के खिलाफ बम धमाकों के 6 गंभीर आरोप हैं। 1993 के अजमेर बम धमाके के मामले में दोषी मानते हुए अदालत ने उसे उम्र कैद की सजा सुनाई है। अजमेर जेल में वह वही सजा काट रहा है। अंसारी का इंडियन मुजाहिद्दीन सहित कई आतंकी संगठनों से संबंध है।
1994 में सीबीआई को फोन टैपिंग के दौरान जलीस का लोकेशन मिला। सीबीआई ने आग्रीपाडा से उसके घर से गिरफ्तार किया था। उसके पास एक रिवाल्वर भी मिली थी। तत्कालीन क्राइम ब्रांच डीसीपी राकेश मारिया ने जलीस से पूछताछ की थी। लंबी पूछताछ में उसने 52 धमाके करने का गुनाह कबूल किया था।