बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व से चर्चा के बाद एकनाथ खडसे ने अपनी पुरानी भगवा पार्टी में घर वापसी का ऐलान कर दिया है। 40 साल से अधिक समय तक बीजेपी के वरिष्ठ नेता रहे खडसे ने 2020 में कमल छोड़कर एनसीपी में शामिल हो गए। वह पिछले साल विधान परिषद के सदस्य (एमएलसी) के रूप में चुने गए। हालांकि बीजेपी ने एक बार फिर पूर्व बीजेपी नेता खडसे की सांसद बहू रक्षा खडसे को रावेर से उम्मीदवार बनाया है।
खुद किया ऐलान…
दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से बातचीत के बाद एकनाथ खडसे आज अपने संसदीय क्षेत्र लौट आए हैं। इस मौके पर बोलते हुए खडसे ने कहा कि वह बिना किसी शर्त पर 15 दिनों में बीजेपी में शामिल होंगे। खडसे ने शनिवार को कहा था कि वह अगले सप्ताह नई दिल्ली में अपनी मूल पार्टी में शामिल होंगे।
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खुद किया ऐलान…
दिल्ली में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा से बातचीत के बाद एकनाथ खडसे आज अपने संसदीय क्षेत्र लौट आए हैं। इस मौके पर बोलते हुए खडसे ने कहा कि वह बिना किसी शर्त पर 15 दिनों में बीजेपी में शामिल होंगे। खडसे ने शनिवार को कहा था कि वह अगले सप्ताह नई दिल्ली में अपनी मूल पार्टी में शामिल होंगे।
पत्रकारों से बात करते हुए 71 वर्षीय एकनाथ खडसे ने कहा, “बीजेपी मेरा घर है। मैं पार्टी की स्थापना के समय से ही बीजेपी में हूं। मेरा योगदान बीजेपी में रहा। मैं चालीस साल तक बीजेपी में था। मैं कुछ नाराजगी के कारण बाहर था। लेकिन अब जब मेरी नाराजगी कम हो गई है तो मैं बीजेपी में दोबारा प्रवेश कर रहा हूं।”
उन्होंने कहा, शरद पवार ने संकट के दौरान मेरा साथ दिया, इसलिए मैं उनका ऋणी हूं। मैंने जयंत पाटील को अपना निर्णय बता दिया है। हालांकि, उनकी बेटी रोहिणी खडसे ने अलग रुख अपना लिया है। उन्होंने साफ कहा है कि वह शरद पवार की एनसीपी का साथ नहीं छोड़ेंगी।
क्यों छोड़ी थी BJP?
खडसे ने करीब तीन साल पहले बीजेपी की राज्य इकाई के नेतृत्व खासकर देवेंद्र फडणवीस के साथ मतभेदों के बाद पार्टी के साथ 40 साल पुराना अपना रिश्ता खत्म कर दिया था और फिर शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (अविभाजित) में शामिल हो गए थे।
क्यों छोड़ी थी BJP?
खडसे ने करीब तीन साल पहले बीजेपी की राज्य इकाई के नेतृत्व खासकर देवेंद्र फडणवीस के साथ मतभेदों के बाद पार्टी के साथ 40 साल पुराना अपना रिश्ता खत्म कर दिया था और फिर शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी (अविभाजित) में शामिल हो गए थे।
जब देवेंद्र फडणवीस मुख्यमंत्री थे खडसे मंत्री थे, लेकिन एक भूमि सौदे के मामले को लेकर 2016 में उन्हें मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था। लंबे इंतजार के बाद शरद पवार की अगुवाई वाली अविभाजित एनसीपी ने उन्हें अपना सदस्य बनाया था। खडसे ने तब फडणवीस और उनके विश्वासपात्र गिरीश महाजन को उनके राजनीतिक करियर को नुकसान पहुंचाने का जिम्मेदार बताया था।
एकनाथ खडसे की घर वापसी से जलगांव में बीजेपी की ताकत और बढ़ जाएगी। इसलिए कहा जा रहा है कि जलगांव लोकसभा चुनाव और भी दिलचस्प होगा। दरअसल, खडसे की उत्तरी महाराष्ट्र के जलगांव जिले और उसके आसपास के इलाकों में अच्छी पकड़ है। इसका फायदा बीजेपी को लोकसभा चुनाव के साथ-साथ विधानसभा चुनाव में भी मिलेगा। इसलिए खडसे की घर वापसी से विपक्ष की मुश्किलें और बढ़ जाएंगी।