वन हक के लिए आदिवासी समाज का मोर्चा
भारतीय वन कानून सुधार-2019 विधेयक के मसौदे पर आपत्ति
श्रमजीवी संगठन ने मोर्चा निकाल कर जिलाधिकारी कार्यालय में उप जिलाधिकारी शिवाजी पाटिल को ज्ञापन सौंपा।
श्रमजीवी संगठन ने मोर्चा निकाल
ठाणे. केन्द्र सरकार के प्रस्तावित भारतीय वन कानून सुधार-2019 विधेयक के मसौदे में किए गए प्रावधान पर आदिवासी संगठन ने आपत्ति जताते हुए विरोध प्रदर्शन किया। श्रमजीवी संगठन ने मोर्चा निकाल कर जिलाधिकारी कार्यालय में उप जिलाधिकारी शिवाजी पाटिल को ज्ञापन सौंपा।
प्रदर्शन में शामिल आदिवासी समाज के लोगों ने पारंपरिक हिरव्या देवी की पालखी सजाई, जो लोगों का ध्यान खींच रही थी। ज्ञापन में बताया गया कि केन्द्र सरकार ने विश्व तापमान वृद्धि के नाम पर जंगल के आदिवासी व अन्य पारंपरिक वननिवासी जनता के हकों को छिनने का प्रयास किया है। सुधारित वन कानून को तैयार किया जा रहा है। इसके अनुसार भारतीय वन कानून (सुधार) 2019 का विधेयक भी घोषित किया गया है, जो कि आदिवासी जनता पर जुल्म के समान है। इस विधेयक में परंपरागत वन अधिकार को हनन करने की बातें शामिल है। जंगल पर निर्भर आदिवासियों के हाथ से जंगल का अधिकार छिन जाएगा। वनक्षेत्र वृद्धि के नाम पर बड़े निवेशकों के लिए वनों में कैशक्रॉप की खेती की जाने की आशंका है। विधेयक के अनुसार यह प्रतीत होता है कि सरकार वनों के जरिए भी कारोबार करने को उत्सुक है। इसके अलावा इसमें वन अधिकारियों को अमर्यादित अधिकार देकर एक प्रकार से आदिवासियों के हकों को छिनने की साजिश लगती है। ग्रामसभा का अधिकार कम करके ग्राम वनों को समांतर पद्धति से लागू किए जाने का भी संघठन ने विरोध किया है। ठाणे जिला अध्यक्ष अशोक सापटे के नेतृत्व में निकाले गए इस मोर्चे में राज्य के अध्यक्ष रामभाऊ वारणा, उप कार्याध्यक्ष स्नेहा दुबे पंडित के आलावा बड़ी संख्या में महिला और पुरुष आदिवासी मौजूद रहे।
Home / Mumbai / वन हक के लिए आदिवासी समाज का मोर्चा