राज्यपाल ने भाजपा को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित किया था। रविवार को पार्टी कोर कमेटी की बैठक दो बार हुई। लेकिन, बहुमत का इंतजाम नहीं हो पाया। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के साथ विचार-विमर्श किया गया। इसके बाद कार्यवाहक मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के साथ भाजपा के वरिष्ठ नेता राज्यपाल से मिले और अकेले सरकार बनाने में असमर्थता जताई। फडणवीस के साथ विनोद तावड़े, पंकजा मुंडे और पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष चंद्रकांत पाटील ने भी राज्यपाल से मुलाकात की। भाजपा नेताओं ने कहा कि शिवसेना ने जनादेश का अपमान किया है। साथ ही कांग्रेस-एनसीपी के साथ सरकार बनाने से जुड़े प्रयास के लिए पार्टी नेताओं ने शिवसेना को शुभकामनाएं भी दीं।
भाजपा के पल्ला झाडऩे के बाद गेंद शिवसेना के पाले में आ गई है। शिवसेना पहले ही बहुमत का दावा कर चुकी है। पार्टी प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि मुख्यमंत्री शिवसेना का ही बनेगा। वह पहले ही दावा कर चुके हैं कि शिवसेना के पास 175 विधायकों का समर्थन है। शिवसेना के अपने 56 विधायक हैं जबकि पार्टी को 7 निर्दलीय एमएलए ने समर्थन दिया है। पार्टी के पास कुल मिला कर 63 विधायक हैं। सूत्रों के मुताबिक सरकार गठन के लिए शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस में बातचीत हो चुकी है। अगले हफ्ते एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार कांग्रेस आलाकमान सोनिया गांधी से मुलाकात करेंगे। इसके बाद ही पता चलेगा कि राज्य में किसकी सरकार बनेगी।
सरकार गठन को लेकर शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे आश्वस्त नजर आ रहे हैं। रविवार को विधायकों की बैठक में उन्होंने कहा कि राज्य में सरकार शिवसेना ही बनाएगी। होटल रिट्रीट में विधायकों को संबोधित करते हुए उद्धव ने कहा, हम पालकी बहुत उठा चुके हैं, इस बार हम इसकी सवारी करेंगे। कोई शिवसैनिक ही पालकी में सवार होगा। विधायकों के सुर भी बदले नजर आए। आदित्य ठाकरे को सीएम बनाने की मांग करते रहे पार्टी विधायक अब चाहते हैं कि खुद उद्धव मुख्यमंत्री की कुर्सी संभालें।
कांग्रेस ने रविवार को कहा कि वह राज्य में राष्ट्रपति शासन नहीं चाहती है। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने कहा कि पार्टी के नव-निर्वाचित विधायकों के रुख पर पार्टी आलाकमान के साथ चर्चा करेंगे। चव्हाण ने कहा कि वह महाराष्ट्र में सरकार बनाने के पक्ष में हैं। हालांकि कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव और महाराष्ट्र प्रभारी मल्लिकार्जुन खडग़े ने कहा कि जनादेश का सम्मान करते हुए पार्टी विपक्ष में बैठेगी। जयपुर में पार्टी विधायकों की बैठक के बाद पत्रकारों के साथ बातचीत में उन्होंने यह बात कही। एनसीपी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल ने भी खडग़े की बात का समर्थन किया।
शिवसेना के साथ सरकार बनाना है या नही, इस बारे में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) ने अभी तक कोई निर्णय नहीं लिया है। पहले शिवसेना को भाजपा नेतृत्व वाले एनडीए से बाहर निकलना होगा। इसके बाद ही सरकार बनाने के शिवसेना के प्रस्ताव पर हम कोई विचार करेंगे। एनसीपी के राष्ट्रीय प्रवक्ता नवाब मलिक ने यह बात रविवार को कही। मलिक ने कहा कि औपचारिक प्रस्ताव मिलने के बाद एनसीपी और कांग्रेस नेता आपस में चर्चा करेंगे। क्योंकि कांग्रेस और एनसीपी के बिना शिवसेना सरकार नहीं बना सकती है। सरकार बनाने के लिए तीनों दलों का साथ आना जरूरी है।
288 सीटों वाली राज्य विधानसभा में बहुमत साबित करने के लिए 145 सदस्यों का समर्थन चाहिए। भाजपा को 105 और शिवसेना को 56 सीटें मिली हैं। दोनों के पास बहुमत से ज्यादा 161 विधायक हैं। लेकिन, पेच मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर फंसी है। शिवसेना ढाई-ढाई साल के मुख्यमंत्री की मांग पर अड़ी है, जिसे छोडऩे के लिए भाजपा तैयार नहीं है। कांग्रेस के पास 44 और एनसीपी के पास 54 विधायक हैं।