सुप्रीम कोर्ट ने इस आदेश के साथ ही कहा कि जिन जगहों पर पहले ही चुनाव की अधिसूचना जारी हुई थी वहां के लिए नए सिरे से अधिसूचना नहीं जारी हो सकती है। अदालत ने यह भी साफ कर दिया कि अगर राज्य चुनाव आयोग ने ऐसा किया तो यह कोर्ट की अवमानना होगी। उच्चतम न्यायालय ने महाराष्ट्र चुनाव आयोग को आज फटकारा भी है।
गौर हो कि महाराष्ट्र चुनाव आयोग ने आरक्षण जारी करने के लिए दोबारा अधिसूचना जारी करने का निर्णय किया था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इसे गलत माना है। साथ ही कोर्ट ने कहा कि इलेक्शन कमीशन उन चुनावों में दखल नहीं दे सकता है जहां पहले ही अधिसूचित किया गया है।
उल्लेखनीय है कि सुप्रीम कोर्ट ने 20 जुलाई को बंठिया आयोग की महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों में 27 फीसदी अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) आरक्षण लागू करने की सिफारिशों को हरी झंडी दी थी। साथ ही कहा था कि दो सप्ताह के भीतर सूबे में स्थानीय निकाय चुनाव अधिसूचित किये जाएं।
महाराष्ट्र में मौजूदा समय में ओबीसी की संख्या 38 फीसदी है। यही कारण है कि आरक्षण के मसले पर लगातार बयानबाजी भी होती रही है। राज्य की शिंदे-बीजेपी सरकार और विपक्षी पार्टियों ने भी कोर्ट के फैसले का स्वागत किया था।