यह भी पढ़ें – सुप्रीम कोर्ट के 10 जज कोविड पॉजिटिव, महाराष्ट्र में 499 पुलिसकर्मी भी संक्रमित वहीं इसी तर्ज पर महाराष्ट्र सरकार ने भी प्रस्ताव पास किया था। महाराष्ट्र सरकार ने ओबीसी आरक्षण के मद्देनजर नई याचिका दायर की है जिसमें अदालत से 15 दिसंबर के फैसले को वापस लेने के मांग की गई।
वहीं केंद्र सरकार भी इस आदेश को वापस लेने या उसे संशोधित करने की अपील कर चुकी है। 15 दिसंबर के अपने आदेश के तहत सुप्रीम कोर्ट ने अपने 6 दिसंबर के आदेशों पर किसी भी तरह की तब्दीली करने से मना कर दिया था।
इस आदेश के मुताबिक कोर्ट ने स्थानीय निकायों के चुनावों में अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए 27 फीसदी आरक्षित सीटों से जुड़े अध्यादेश पर अगले आदेश तक रोक लगाई थी। इन सबके बीच सुप्रीम कोर्ट इस पुनर्विचार याचिका पर क्या फैसले लेती है, उस पर दोनों राज्यों की नजरें टिकी हुई हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने स्थानीय निकायों के चुनाव में ओबीसी आरक्षण के खत्म कर दिया है। यही नहीं शीर्ष अदालत ने निर्देशित किया है कि रिजर्वेशन की अधिकतम सीमा 50 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकती। वहीं सर्वोच्च अदालत ने ओबीसी आरक्षण के दावे के पक्ष में राज्य को इम्पीरिकल डेटा एकत्र करने का निर्देश दिया है। इस डेटा से यह साफ हो जाएगा कि किसी भी राज्य में किसी जाति को क्यों पिछड़ी जाति मानी जाए। वहीं राज्य सरकारें इस डाटा को एकत्र करने के लिए भी समय मांग रही हैं।
हालांकि राज्यों के सामने ये चुनौती भी है कि केंद्र की ओर से जातीय जनगणना पर रोक लगा दी गई है। ऐसे में जबतक इम्पीरिकल डेटा जुटाए नहीं जाते, तब तक किसी भी आबादी को राजनीतिक तौर पर पिछड़ा वर्ग नहीं माना जा सकता।