scriptसाथी की तलाश में दो हजार किमी दौड़ा टाइगर | Maharashtra: Tiger ran two thousand km in search of a partner | Patrika News
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साथी की तलाश में दो हजार किमी दौड़ा टाइगर

Tiger story: भारतीय वन अधिकारी प्रवीण कास्वां (parveen kaswan ifs) ने ट्विटर पर एक ऐसे टाइगर टी1 सी1 (Tiger T1 C1) की कहानी साझा की है जो उपयुक्त साथी की तलाश में 2000 किमी तक दौड़ गया (Ran 2000 km in search of partner)। यह टाइगर महाराष्ट्र के तिपेश्वर अभयारण्य (tipeshwar wildlife sanctuary) से चलकर हिंगोली जिले के ज्ञानगंगा जंगल (वन्यजीव अभयारण्य) में बस गया है। कास्वां ने कुछ फोटो और नक्शे भी साझा किए हैं जहां से टाइगर गुजरा है।

मुंबईMar 05, 2020 / 11:38 pm

arun Kumar

साथी की तलाश में दो हजार किमी दौड़ा टाइगर

साथी की तलाश में दो हजार किमी दौड़ा टाइगर

तिपेश्वर अभयारण्य से ज्ञानगंगा तक का सफर किया तय

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पक्षी और जानवर मौसम परिवर्तन के दौरान ही पलायन करते हैं। वे ऐसा नई जगह और एक संभावित साथी की तलाश में ही करते हैं। भारतीय वन अधिकारी प्रवीण कास्वां ने ट्विटर पर एक ऐसे टाइगर टी1 सी1 की कहानी साझा की है जो उपयुक्त साथी की तलाश में 2000 किमी तक दौड़ गया। यह टाइगर महाराष्ट्र के तिपेश्वर अभयारण्य से चलकर हिंगोली जिले के ज्ञानगंगा जंगल (वन्यजीव अभयारण्य) में बस गया है। कास्वां ने कुछ फोटो और नक्शे भी साझा किए हैं जहां से टाइगर गुजरा है। कास्वां ने लिखा है कि रेकॉर्ड यात्रा करने के बाद टाइगर नहरों, खेतों, जंगलों, सड़कों से गुजरा और किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया। सफर के दौरान टाइगर दिन में आराम करता और रात में घूमकर साथी की तलाश करता था। इस दौरान वह जंगली ***** और मवेशियों को अपना भोजन बनाता था। भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआईआई) टाइगर टी1 सी1 की यात्रा निगरानी कर रहा है। डब्ल्यूआईआई, महाराष्ट्र और तेलंगाना वन विभागों की संयुक्त ऑन-फील्ड वीएचएफ ट्रैकिंग और जीपीएस सैटेलाइट ट्रैकिंग से टाइगर की लगातार निगरानी की गई। इसके लिए बाकायदा एक समिति का गठित की गई है कि क्या एक अन्य मादा टाइगर को टी1 सी1 के साथी के रूप में अभयारण्य में छोड़ा जा सकता है या नहीं।
क्या कहते हैं वन्यजीव विशेषज्ञ

डब्ल्यूआईआई के वरिष्ठ वैज्ञानिक, डॉ. बिलाल हबीब अपनी टीम के साथ टाइगर पर नजर रखे हैं। उन्होंने बताया कि टाइगर ज्ञानगंगा जंगल में बस गया है और अब उसके इधर उधर जाने की संभावना कम ही है। मुख्य वन्यजीव वार्डन और महाराष्ट्र के प्रधान मुख्य संरक्षक नितिन काकोडकर ने कहा अगर टाइगर वापस अभयारण्य में आता भी है तो भी यह माना जाता है कि वह ज्ञानगंगा जंगल में बस गया है। टाइगर के रेडियो कॉलर की 80 प्रतिशत से अधिक बैटरी खत्म हो चुकी है। इसलिए कॉलर बैटरी बदलनी भी जरूरी है। इसके लिए वन्यजीव विशेषज्ञ उसे अभयारण्य में ठीक से बसने का इंतजार कर रहे हैं।
कहां कहां गया टाइगर टी1 सी1

महाराष्ट्र के प्रधान मुख्य वन संरक्षक को सौंपी गई रिपोर्ट में लिखा गया है कि जून 2019 में मॉनसून तक टाइगर ने तिपेश्वर वन क्षेत्र का उपयोग किया। 21 जून, 2019 को बाघ यहां से बाहर निकलग गया। वह दक्षिण की ओर पिंगंगा वन्यजीव अभयारण्य की ओर बढऩे लगा और फिर कवाल बाघ अभयारण्य की ओर चला गया। कवाल अभ्यारण्य के उत्तर में क्षेत्र की खोज के बाद वह पीछे मुड़ गया और पिंगंगा वन्यजीव अभयारण्य की ओर लौट आया। क्षेत्र की खोज करने के बाद बाघ पश्चिम में वाशिम की ओर बढ़ता रहा। इस तरह वह नवंबर 2019 तक 1,100 किलोमीटर चल चुका था।

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