बीएड कर चुके सुरेश पाडवी ने कहा, यहां युवाओं के लिए रोजगार नहीं है। सरकारी तो छोडि़ए निजी नौकरी के अवसर नहीं है। युवा गुजरात, पुणे, मुंबई, नासिक जाते हैं। चुनाव के वक्त हर नेता और पार्टी नए उद्योग और नंदुरबार में एमआइडीसी लाने का वादा करते हैं, लेकिन चुनाव खत्म होते ही सबकुछ भूल जाते हैं। शिक्षक देवेन्द्र बोरसे ने बताया कि तीन बार एमआइडीसी की घोषणा की जा चुकी है, जगह तय हो जाती है, बाद में मामला फाइलों में खो जाता है।
नवापुर सीट कांग्रेस की गढ़ कही जाती है। वर्ष 2009 को छोड़ कर हमेशा कांंग्रेस यहां से जीती। 2014 के विधानसभा चुनाव में मोदी लहर के बीच भी इस सीट को कांग्रेस बचाने में कामयाब रही। लेकिन, इस बार राजनीतिक समीकरणों ने मुकाबला रोचक कर दिया है। पूर्व मंत्री माणिकराव गावित के पुत्र भरत गावित ने कांग्रेस छोड़़कर भाजपा का दामन थामा है। पार्टी ने उन्हें यहां से प्रत्याशी भी बनाया है। कांग्रेस के विधायक रहे स्वरूपसिंह नाईक के पुत्र शिरीष नाईक को पार्टी ने प्रत्याशी बनाया है। दो दिग्गजों के बीच कड़ी टक्कर देखने मिल रही है।
नंदुबार सीट भाजपा के लिए चुनौतीपूर्ण नहीं है। भाजपा ने यहां पर वर्तमान विधायक डॉ. विजय गावित को पुन: मैदान में उतारा है। जबकि कांग्रेस के शीर्ष नेता रहे चंद्रकांत रघुवंशी के चुुनाव से ऐन पहले शिवसेना में शामिल होने से कांग्रेस का गणित गड़बड़ा गया है। शहतलोदा सीट से भाजपा के विधायक उदयसिंह पाड़वी का टिकट कटने से वे कांग्रेस में शामिल हो गए। कांग्रेस ने उन्हें नंदुरबार सीट से अपना प्रत्याशी बनाया है। हालांकि बाहरी उम्मीदवार का ठप्पा लोगों को खल रहा है।
– नंदुरबार शहर डॉ.विजय गावित भाजपा उदयसिंह पाड़वी कांग्रेस
– नवापुर भरत गावित भाजपा शिरिष नाईक कांग्रेस
– अक्कलकुवा के.सी.पाडवी कांग्रेस आमश्या पाडवी शिवसेना
– तलोदा-शाहदा राजेश पाडवी भाजपा पद्माकर तड़वी कांग्रेस