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मुंबई

बेबस, बेसहारा बच्चों को दे रहीं ममता की संजीवनी

सराहनीय: राजनीति से नाता तोड़ अनाथों की नाथ बनी भूतपूर्व महिला विधायक

मुंबईJan 15, 2019 / 10:55 pm

arun Kumar

Mamjata's 'Sanjivani', giving birth to helpless children.

Mamjata’s ‘Sanjivani’, giving birth to helpless children.


एक बच्ची से शुरू कर १०५५ बच्चों को दे रही हैं आंचल की छाया

अविनाश पांडे
मुंबई. शहर से करीब 100 किलोमीटर दूर माथेरान में स्थित एक आदिवासी अनाथ आश्रम में दुधमुहे बच्चों को रोता-बिलखता देख एक महिला राजनेता के दिल को ऐसी टीस पहुंची कि ‘अनाथों की नाथÓ बनकर हजार से भी अधिक बच्चों की जिंदगी सवांर दी। बच्चों के भविष्य को संवारने के लिए उन्होंनेे अपने राजनीतिक जीवन को ही त्याग दिया। जी हां, हम बात कर रहे हैं संजीवनी रायकर की जिन्होंने अब तक लगभग 1055 बच्चों का भरण-पोषण कर उन्हें समाज में सामाजिकता के सरोकार से जोड़ दिया है। वैसे अनाथ और बेसहारा बच्चों को सहारा देकर समाज की धारा से जोडऩे के लिए बहुत लोग सोचते हैं लेकिन, कुछ गिने चुने लोग ही ऐसे बच्चों के लिए काम करते हैं। रायकर इन्हीं गिने-चुने लोगों में से एक हैं। जिन्होंने न सिर्फ ऐसे अनाथ और बेसहारा बच्चों के बारे में सोचा बल्कि आज वो इनकी परवरिश के साथ-साथ उन्हें पढ़ा-लिखाकर काबिल इंसान बना रही है।83 वर्षीय संजीवनी रायकर बताती हैं कि हम जब दादर स्थित एक सरकारी स्कूल में शिक्षिका के पद पर थी । तब मैंने एक अनाथ आश्रम का भ्रमण किया था जहां से मुझे प्रेरणा मिली थी। जिसके बाद पहले हमने एक अनाथ बच्चे का पालन पोषण किया । फिर उसी दरम्यान हमनें सोचा क्यों न इन बच्चों के लिए बड़े स्तर पर कुछ बड़ा कार्य किया जाए। जिसके बाद उन्होंने 5 लोगों के साथ सन 1983 में वात्सल्य ट्रस्ट की स्थापना की । जिसके माध्यम से अब तक 1055 बच्चों का सहारा बनी चुकी है।
बेटों की अपेक्षा अनाथ बेटियों की संख्या रही अधिक

सरकार भले ही कितन भी ‘बेटी बचाओÓ का अभियान देश में चला रही हो लेकिन, जमीनी स्तर पर यह खरा साबित होता दिखाई नहीं दे रहा है। संजीवनी बताती हंै कि अनाथ बच्चों में बेटियों की संख्या 80 प्रतिशत है और लड़कों की 20 प्रतिशत। लेकिन, अच्छी बात यह कि पिछले कुछ सालों में लड़कियों को गोद लेने वालों का प्रतिशत बढ़ा है। रायकर ने कहा हाल ही में कांजुरमार्ग के एक शौचालय में नवजात बच्ची फेंकी मिली थी और ऐसे कई शिशु झाडिय़ों में फेंके मिले हैं लेकिन, अधिकतर शिशु की मां के स्वर्गवास के बाद उनके परिजन उन्हें नही संभालते और हमें सौंप जाते हैं।

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