सरकारी मान्यता जरुरी हो तो एेसे स्कूल नहीं दे सकते धर्म विशेष की शिक्षा
महाविकास आघाडी सरकार बनते ही घोषणा…
राज्य में शिवसेना के नेतृत्व में बनी महाविकास आघाडी सरकार के गठन के बाद से ही सभी स्कूलों में मराठी विषयों को लागू करने की घोषणा की गई थी। वहीं 24 फरवरी से 14 मार्च तक चले विधानमंडल के बजट सत्र में पारित विधेयक को मंजूरी दे दी गई। विपक्षी दलों ने भी विधेयक का समर्थन किया। इसके बाद राज्यपाल ने भी 8 मार्च को बिल को मंजूरी दे दी। इसलिए अब कानूनन 2020-21 शैक्षणिक वर्ष में नियम को लागू करने का रास्ता साफ हो गया है।
सरकारी मान्यता के लिए स्कूलों को मानना होगा हाईकोर्ट का यह आदेश
सीबीएसई, आईसीएसई समेत सभी स्कूलों में लागू…
यह अधिनियम राज्य के प्रत्येक स्कूल और ऐसे स्कूल में नाम लिखाने वाले प्रत्येक छात्र पर लागू होगा। अधिनियम की धारा 2 (छ) में यह स्पष्ट किया गया है कि किन स्कूलों इस कानून को लागू किया जाएगा। राज्य सरकार या स्थानीय निकायों द्वारा सहायता प्राप्त, गैर-अनुदानित और स्थायी रूप से गैर-अनुदानित स्कूल हैं। भारत के संविधान के अनुच्छेद 30 के खंड (1) के तहत अल्पसंख्यक स्कूलों समेत किसी भी शैक्षणिक संस्थान द्वारा स्थापित या चलाए जाने वाले सभी स्कूलों का समावेश है। इसमें कोई भी एंग्लो-इंडियन स्कूल या ईस्टर्न स्कूल या सेंट्रल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन (सीबीएसई), इंडियन स्कूल सर्टिफिकेट एग्जामिनेशन काउंसिल (आईसीएसई), इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी, कैम्ब्रिज बोर्ड, जनरल सर्टिफिकेट ऑफ इंटरनेशनल एजुकेशन, नेशनल ओपन एजुकेशन इंस्टीट्यूट समेत महाराष्ट्र इंटरनेशनल बोर्ड ऑफ एजुकेशन या किसी अन्य सरकारी या निजी शिक्षा बोर्ड से संबद्ध स्कूल शामिल होंगे। साथ ही यह नियम महाराष्ट्र के स्वयं सहायता स्कूल स्कूलों के अधिनियम के तहत स्थापित किसी भी प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और माध्यमिक स्कूलों पर भी लागू होगा।
अशासकीय सहायता प्राप्त जूनियर हाई स्कूलों की नियुक्ति में बड़ी अनियमितताओं का खुलासा
विधेयक के नियमानुसार…
– राज्य के स्कूलों में मराठी बोलने पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कोई प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है। इसी तरह कानून यह निर्धारित किया गया है कि कोई भी पैनल या निर्देश मराठी भाषा के उपयोग पर प्रतिबंध न तो लगा ही सकता है और न ही प्रदर्शित कर सकता है। ऐसा विधेयक में स्पष्ट किया गया है।
– जिन स्कूलों में मराठी भाषा को सख्ती से लागू नहीं किया जाएगा। उन स्कूलों की मान्यता रद्द करने का भी विधेयक में प्रावधान है, जबकि नियमों के प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले स्कूल प्रबंधन के लिए जिम्मेदार प्रबंध निदेशक या किसी अन्य व्यक्ति पर एक लाख के जुर्माने का भी प्रावधान है।
– आने वाले शैक्षणिक वर्ष में मराठी भाषा अनिवार्य होने वाली है। कानून के तहत मराठी विषय पहली से 6वीं तक शुरू किया जाएगा, फिर अगली कक्षा से आरोही क्रम में नियमानुसार लागू किया जाएगा।