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mumbai news: मुंबई में बसे राजस्थानी रेगर समाज को जोडऩे की पहल

शिक्षित व्यक्ति ही समाज को आगे ले जाएगा
देश में राजस्थानी भाषा लगभग दस करोड़ से ज्यादा लोग बोलते हैं
मुंबई में अपनी संस्कृति को संजोए रखने के लिए कार्यक्रम आयोजित करते रहते हैं

मुंबईJul 19, 2019 / 03:42 pm

Binod Pandey

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mumbai news: मुंबई में बसे राजस्थानी रेगर समाज को जोडऩे की पहल

सुभाष गिरी
मुंबई. ठक्कर बाप्पा फूटवेयर मैटेरियल मर्चेंट वेलफेयर एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष, संचालक और महाराष्ट्र रेगर समाज के अध्यक्ष श्रवण नवल ने कहा कि मुंबई में राजस्थानी भाषा, कला एवं संस्कृति को बढ़ावा देने का काम कर रहे हैं। नवल ने कहा कि देश में राजस्थानी भाषा करीब दस करोड़ से ज्यादा लोग बोलते हैं। गुजरात, महाराष्ट्र तथा कोलकाता में भी राजस्थानी भाषा बोलने वाले लोग रहते हैं। मुंबई में अपनी संस्कृति को संजोए रखने के लिए हम समय-समय पर कार्यक्रम आयोजित करते रहते हैं। ठक्कर बाप्पा कालोनी में राजस्थान के विविध जिलों नागौर, व्यावर, पाली, राजसमंद, अजमेर, जोधपुर, झूंझनू आदि जिलों के लगभग दो लाख लोग रहते हैं। यहां पर बड़ी संख्या में रेगर समाज के निवासरत हैं। यहां के बनाए जूते चप्पल पूरे देश में भेजे जाते हैं। यह एशिया का बड़ा मार्केंट है। उन्होंने कहा कि घनी आबादी वाला क्षेत्र होने की वजह से यहां पर शौचालय, गटर सहित विविध मूलभूत सुविधाओं का अभाव है। वार्ड का शौचालय साफ-सुथरा हो, लोगों को शुद्ध पानी पीने को मिले, खेलकूद का मैदान हो, गटर नाले साफ हों, गलियों के गंदे पानी की निकासी सही तरीके से हो, क्षेत्र में आरोग्य केंद्र हों, स्कूल, कचरा व्यवस्थापन, सडकें और ट्रैफिक की समस्या, शौचालय, शिक्षा, महिलाओं व युवाओं के लिए रोजगार पर जोर देना, अंबुलेंस व इमरजेंसी सेवाएं, खेलकूद का मैदान, सांस्कृतिक कला मंच, झोपड़पट्टी मुक्त विभाग व बुजुर्गों के लिए गार्डेन की व्यवस्था हो, इसके लिए प्रशासन,राज्य सरकार जनप्रतिनिधियों को ध्यान देने की आवश्यकता है।

महाराष्ट्र में मिले अनुसूचित जाति का दर्जा
हम रेगर समाज को महाराष्ट्र में एससी की सूची में शामिल करने के लिए पत्र के माध्यम से प्रशासन-सरकार को आगाह कर चुके हैं। यहां बड़ी तादाद में रेगर समाज के लोग रहते हैं। राजस्थान में हमें अनुसूचित जाति का दर्जा मिला है, मगर महाराष्ट्र में हमें शामिल नहीं किया गया है। श्रवण नवल ने कहा कि संस्था की विशेषता यह भी है कि संकट में फंसे रेगर समाज के परिवार को सदस्यगण आपस में राशि जमाकर समाज और गरीबों की सेवा कर रहे हैं। पिछले कुछ महीने पहले एक महिला के घर में आग लग गई थी, जिसकी मदद के लिए समाज के लोग सभी सदस्य राशि एकत्रित कर उसकी सहायता की। साथ ही बाल विवाह को रोकने पर जोर दिया जा रहा है। राजस्थान के मारवाड़ क्षेत्र के रेगर समाज के लोग बड़ी संख्या में यहां पर रहते हैं। राजस्थान सहित कई राज्यों में रेगर समाज को अनुसूचित जाति का दर्जा मिला है। रेगर समाज को महाराष्ट्र में मिलना चाहिए, ताकि रेगर समाज की युवा पीढ़ी को भी शिक्षा रोजगार में बढ़ावा मिल सके। रेगर समाज का मूल व्यवसाय जूते-चप्पल बनाना है। ठक्कर बाप्पा कालोनी में दो माह जून, जुलाई मंदी के दौर से गुजरता है।

समाज को शिक्षित बनाना जरूरी
डॉ. बाबासाहेब आंबेडकर के जीवन मूल्यों को जीवन में उतारकर अपने व्यक्तित्व का विकास करें। डॉ. आम्बेडकर ने शिक्षा को सबसे बड़ा शस्त्र माना है। शिक्षा एक ऐसा शस्त्र है, जो जीवन की सभी कठिनाईयों का निवारण करता है। हमें उनके इस संदेश को जन-जन तक पहुचाना हैं, क्योंकि जब तक समाज शिक्षित नहीं होगा तब तक रेगर समाज विकसित नहीं होगा। दलित, रेगर समाज, पिछड़े वर्ग, शोषित, पीडि़तों के लोगों का सम्मान बाबासाहेब की वजह से बढ़ा है। कक्षा 10 वीं 12 वीं में ७० प्रतिशत से अधिक अंक लाने वाले छात्र-छात्राओं को रेगर समाज की ओर से 21 जुलाई को संत रविदास भवन कुर्ला पूर्व स्थित सम्मानित किया जाएगा। शिक्षित व्यक्ति ही समाज को आगे की ओर ले जा सकता है। बच्चों का सम्मान करने से बच्चों में नई ऊर्जा उत्पन्न होती है।

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