काँग्रेस के पूर्व जिल्हाध्यक्ष दशरथ भगत, नगरसेवक अंकुश सोनावणे, निशांत भगत, विजय वालुंज सहित सैकड़ों कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस को छोड़ गणेश नाईक, नवी मुंबई प्रभारी संजय उपाध्याय की उपस्थिति में भाजपा का दामन थाम दिया। एक तरफ कहाँ नवी मुंबई भाजपामय होता जा रहा है और यहाँ भाजपा की स्थिति भी मजबूत हो रही है, ऐसे में आपसी कलह से भाजपा को नुकसान भी उठाना पड़ सकता है, चूंकि बेलापुर सीट शिवसेना को नही मिलने से जहां शिवसैनिक बीजेपी प्रत्याशी को समर्थन देने से इंकार कर रहे हैं, वहीं बेलापुर से गणेश नाईक को छोड़ मंदा म्हात्रे को टिकट दिए जाने से नाराज नाईक समर्थकों में भी घोर नाराजगी है। आखिरकार गणेश नाईक के छोटे सुपुत्र संदीप नाईक को पिता के लिए अपनी सीट छोंड़नी पड़ी। अब एरोली से गणेश नाईक चुनावी मैदान में उतरने के लिए कमर कस लिया है। शुक्रवार को सुबह गणेश नाईक अपने दल-बल के साथ नामांकन पत्र दाखिल करेंगे। हालांकि नाईक के सामने रोड़ा बनकर शिवसेना उपनेता विजय नाहटा पार्टी से बगावत करके निर्दलीय चुनाव मैदान में उनके सामने उतर सकते हैं। लेकिन बेलापुर सीट पर भाजपा प्रत्याशी मंदा म्हात्रे के लिए खतरा मंडराने लगा है, एक तरफ शिवसेना कार्यकर्ताओं की नाराजगी तो दूसरी तरफ नाईक समर्थकों की नाराजगी मंदा म्हात्रे पर भारी पड़ सकता है?