धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) कोर्ट ने शिवसेना नेता संजय राउत का घर से बना भोजन और दवाएं मंगाने का अनुरोध स्वीकार कर लिया। हालांकि, कोर्ट ने बिस्तर के उनके अनुरोध पर कोई आदेश पारित करने से इनकार कर दिया। वहीँ, न्यायिक हिरासत बढ़ने के बाद संजय राउत की कानूनी टीम आज उनके लिए जमानत याचिका दायर नहीं करेगी।
संजय राउत को मुंबई के एक ‘चॉल’ के पुनर्विकास और उनकी पत्नी एवं अन्य सहयोगियों की संलिप्तता वाले लेन-देन में कथित अनियमितताओं से जुड़े मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में पिछले हफ्ते गिरफ्तार किया गया था। राउत पर धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) की धारा 19 (1) के तहत मामला दर्ज किया गया है।
इस मामले की सुनवाई के दौरान ईडी (Enforcement Directorate) ने कहा था कि 60 वर्षीय राउत और उनका परिवार ‘अपराध की आय’ के प्रत्यक्ष लाभार्थी थे। साथ ही ईडी ने दावा किया है कि उसके पास शिवसेना नेता के खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं। वहीँ, संजय राउत ने अपने खिलाफ लगाये गये आरोपों से इंकार कर दिया है। उन्होंने आरोप लगाया है कि उन्हें राजनीतिक प्रतिशोध के लिए निशाना बनाया जा रहा है।
क्या है मामला?
शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) के बेहद करीबी और भरोसेमंद नेता संजय राउत को लेकर ईडी की जांच पात्रा चॉल के पुनर्विकास और उनकी पत्नी एवं कथित सहयोगियों की संलिप्तता वाले वित्तीय संपत्ति लेनदेन में अनियमितताओं के आरोपों से संबंधित है।
अप्रैल में ईडी ने इस जांच के तहत उनकी पत्नी वर्षा राउत और उनके दो सहयोगियों की 11.15 करोड़ रुपये से अधिक की संपत्ति को अस्थायी रूप से कुर्क किया। कुर्क की गई संपत्ति में संजय राउत के सहयोगी और ‘गुरु आशीष कंस्ट्रक्शन प्राइवेट लिमिटेड’ के पूर्व निदेशक प्रवीण एम राउत की पालघर, पालघर के सफले शहर और ठाणे जिले के पड़घा में स्थित जमीन शामिल है। हाल ही में राउत के भांडुप स्थित आवास पर रेड के दौरान ईडी को वहां से करीब 11.5 लाख रुपये नकद और कुछ दस्तावेज जब्त किए थे।
ईडी ने कहा था कि इन संपत्ति में मुंबई के उपनगर दादर में वर्षा राउत का एक फ्लैट और अलीबाग में किहिम बीच पर आठ भूखंड हैं जो संयुक्त रूप से वर्षा राउत और संजय राउत के करीबी सहयोगी सुजीत पाटकर की पत्नी स्वप्ना पाटकर के हैं।