एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने मुंबई पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्लू) को घोटाले के लिए जिम्मेदार नेताओं और बैंक प्रबंधन के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश दिया था। जनहित याचिका सामाजिक कार्यकर्ता सुरिंदर अरोड़ा की ओर से दायर की गई है। कोर्ट ने आदेश दिया था कि बैंक के अध्यक्ष सहित संचालक मडंल के सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए।
नाबार्ड ने खोली पोल अरोड़ा ने अदालत को बताया कि बैंक संचालक मंडल में शामिल लोगों की मिलीभगत से 2005 से 2010 के बीच एमएससीबी को कथित तौर पर करीब 1,000 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ। नाबार्ड ने बैंक के खातों की जांच कराई जिसमें गड़बड़ी पाई गई। इसके बाद नाबार्ड ने अर्द्ध-न्यायिक जांच आयोग ने महाराष्ट्र सहकारी सोसायटी अधिनियम (एमसीएस) के तहत एक चार्जशीट भी फाइल की गई थी, जिसमें पवार तथा बैंक के कई निदेशकों सहित अन्य आरोपियों को नुकसान के लिए जिम्मेदार ठहराया गया।
जांच के बावजूद कार्रवाई नहीं नाबार्ड की ऑडिट रिपोर्ट में शक्कर कारखानों तथा कताई मिलों को कर्ज वितरण और ऋण वसूली से जुड़े नियमों का पालन नहीं करने, भारतीय रिजर्व बैंक के दिशा-निर्देशों की अनदेखी जैसी कई बातें सामने आई। तब पवार बैंक के निदेशक थे। अरोड़ा ने 2015 में ईओडब्ल्यू में एक शिकायत दर्ज कराई और प्राथमिकी दर्ज करने की मांग के साथ हाईकोर्ट याचिका में लगाई। इसके बाद कोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान सभी तथ्यों को प्रस्तुत किया गया और कोर्ट ने कार्रवाई करने का आदेश दिया।