जहां दुसरे राज्यों में हो रही बारिश गर्मी से सुकून देने वाली है वहीं लगातार हो रही इस बारिश ने माया नगरी की चमक को फीका कर दिया है। लंबी दूरियों को चंद क्षणों में नाप देने वाले मुंबईकर आज रोजमर्रा की जरूरतों के लिए तरस गए। एक-दूसरे से संपर्क नहीं हो पाया। अत्याधुनिक तकनीक के सारे यंत्र जाम हो गए। लोगों को सूर्यदेवता के दर्शन नहीं हो पाए। घरों में पानी भरने से जीवन जैसे कीचड़ में सन गया। दीवारों से सीलन की बदबू ने रहना मुश्किल कर दिया। कुल मिला कर आम आदमी इस दौरान त्राहिमाम कर उठा। मायानगरी में करीब 32 घंटे तक बिजली बंद रही। दो दिन बाद धूप खिली।
कुछ ऐसा था 27 साल पुराना वह दौर
लोगों को 27 साल पुराना वह मंजर याद आ गया, जब तकरीबन ऐसे ही हालात से उन्हें दो-चार होना पड़ा था। उस जमाने में लोग पीसीओ की लाइन में लग कर फोन से एक-दूसरे का हाल-चाल लेते थे, जबकि मोबाइल फोन के इस युग में भी उसी पुराने मंजर का दोहराव देखा गया। घंटों बिजली नहीं होने से मोबाइल की बैटरियां बैठ गईं। बैटरी चार्ज करने के लिए लोग दुकानों में लाइन में लगे रहें, जहां बिजली की वैकल्पिक व्यवस्था के रूप में इनवर्टर मौजूद थे।