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मुंबई

आधी कमाई गरीबों पर खर्च कर रहे गरीब मां-बेटे

भलाई की चेन : किसी का दर्द मिल सके तो ले उधार…

मुंबईDec 31, 2018 / 11:57 pm

arun Kumar

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अरुण लाल
मुंबई. वे खुद गरीब हैं लेकिन, इसका उन्हें कोई मलाल नहीं है। उनका लक्ष्य है गरीबों की सेवा। हर महीने जो कमाते हैंं उसका आधे से ज्यादा गरीबोंं की सेवा में खर्च कर देते हैं। खुद को भले ही दो जून की रोटी समय से न मिले लेकिन, रोज 60 गरीब बच्चों का पेट जरूर भरते हैं। हम बात कर रहे हैं मुंबई के भांडूप की झोपड़पट्टी में रहकर लोगों की सेवा में जुटे एक मां और बेटे की। मां शारदा शहाजी पाटिल (58) आंगनवाड़ी में 15 सौ रुपए कमाती थी। वे पांच सौ रुपए मेंं अपना गुजारा कर लेतीं और, एक हजार रुपए से दूसरे अक्षम लोगों की दवा, फीस और भोजन का इंतजाम करतीं। मां की मेहनत देख बेटा सचिन पाटील (31) भी उसी की राह चल पड़ा। वह अपनी 12 हजार की कमाई में से छह हजार में घर चलाकर बाकी के पैसे लोगों की सेवा में समर्पित करने लगा। बता दें कि सचिन अपनी पत्नी और बच्चे को लेकर माता-पिता के साथ रहते हैं।
दुर्दिनों ने दी प्रेरणा

इलेक्ट्रीशियन का काम करके 12 हजार रुपए मासिक कमाने वाले सचिन पाटील बताते हैं कि हमारी परिस्थिति बहुत खराब थी। मेरे पिता शराबी थे। मेरी मां मेरा पेट भरने के लिए लोगों से पांच रुपए लेकर उनकी राशन की लाइन में लगती थी। पर मेरी मां ने हमेशा याद रखा कि लोगों ने हमारे बुरे समय में बहुत मदद की। मेरी मां को आंगनवाड़ी में काम मिला। उन्हेंं 1500 रुपए मिलते थे। उन्होंने पांच सौ रुपए अपने लिए रख लिए और बाकी के पैसे हमारे आसपास के लोगों की मदद में लगा दिए। जब भी वो किसी की मदद करतीं तो उनके चेहरे पर आत्मसंतोष की चमक होती है।
भलाई का नहीं करते जिक्र

पिछले वर्षों में उन्होंने सैकड़ों बच्चों के लिए अपना पेट छोटा किया लेकिन, वे कभी इसका जिक्र नहीं करती हैं। वहीं, शारदा शहाजी पाटील कहतीं हैं कि हर किसी का मन स्वाभिमान से भरा होता है। ऐसे में कोई अपना दुख किसी से कहने नहीं जाता। पर जब तक हम अपना दुख कहेंगे नहीं, तो उसका हल कैसे निकलेगा। ऐसे में मैंने सोचा एक मंदिर बनें, जहां लोग इक_ा हों और अपने दुख एक-दूसरे से बांटे। अगर हम इक_ा होकर दुख का बोझ उठाएंगे, तो दुख कम हो जाएगा।
खाते से पैसे निकाल खरीदा कम्प्यूटर

एक बार सचिन अपने गांव गए वहांं पर बच्चे कम्प्यूटर सीखना चाहते थे। उन्होंने अपने खाते के सारे पैसे निकाल कर एक सैकेंड हैंड कम्प्यूटर खरीदा। इसके बाद उनका एक मित्र और सामने आया और उन्होंने भी एक कम्प्यूटर खरीद कर दिया। इस तरह सचिन स्कूल फीस से लेकर दवार्ई दिलाने और लोगों के घरों का राशन भराने तक का काम करते हंै।

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