विदित हो कि मेमन १९९३ मुंबई सीरियल धमाकों का प्रमुख आरोपी था, जो दाऊद के साथ ही विदेश फरार हो गया था। आर्थिक राजधानी में मेमन के परिवार की ५०० करोड़ रुपए से ज्यादा की प्रॉपर्टी है। इनमें से एक भूखंड वर्ली में है, जिसे डेवलप करने के लिए पूर्व केंद्रीय मंत्री के परिवार की कंपनी मिलेनियम डवलपर्स ने मिर्ची के परिवार के साथ करार किया था।
नेहरू प्लेनेटोरियम के पास स्थित सीज हाउस नामक बिल्डिंग इसी भूखंड पर बनाई गई है। सीजे हाउस में १४ हजार वर्ग फीट जगह मिर्ची के परिवार को दी गई है। हालांकि पटेल का कहना है कि सीजे हाउस का प्लॉट उनके परिवार ने ग्वालियर के महाराजा से वर्षों पहले खरीदा था। राज्य विधानसभा चुनाव में भाजपा ने इसे मुद्दा बनाया था। बिना नाम लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस-एनसीपी से सवाल किया था कि मुंबई को दहलाने वाले सीरियल धमाकों के आरोपियों को किसने भगाया?
बिचौलिए की खोज शुरू
बीते हफ्ते सोमवार और शुक्रवार को ईडी दफ्तर में पटेल से पूछताछ की गई। सूत्रों के मुताबिक पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कबूल किया है कि मिर्ची और उनके बीच सौदा फारूक पटेल नामक व्यक्ति ने कराया था। ईडी अधिकारी अब बिचौलिए की तलाश कर रहे हैं। पटेल ने ईडी को बताया है कि वर्ली की जमीन के एक हिस्से पर मिर्ची ने अतिक्रमण किया था। इस प्लॉट को डवलप करने के लिए मिलेनियम डवलर्स ने मिर्ची की पत्नी हाजरा मेमन के साथ १९९९ में समझौता किया था।