गंभीर विषय है
श्रमिकों को कम वेतन दिया जा रहा है, तो यह गंभीर विषय है। हालांकि शहर के नालों और गटर की साफसफाई अंतिम चरण में है। इसका जायजा खुद ले रहा हूं। प्रभाग में कई बड़े नाले हैं।
चंद्रकांत वैती, उप महापौर
सुरक्षा उपायों की अनदेखी: कम पैसे में जान का खतरा भी
मुंबई•May 22, 2019 / 05:59 pm•
Devkumar Singodiya
सुरक्षा उपायों की अनदेखी
मीरा भायंदर. सेफ्टिक टैंक और गटर की सफाई के लिए मनपा प्रशासन स्वच्छता दूतों की की जान जोखम में डाल रहा है। कर्मचारियों को बिना किसी सेफ्टी उपाय के ही गटर के अंदर उतारा जा रहा है। पिछले कुछ महीने के दौरान मीरा रोड, ठाणे और वसई में सेफ्टिक टैंक की सफाई में आठ लोगों की जानें जा चुकी है, पर प्रशासन सजग नहीं है।
गटर की सफाई को कांट्रेक्टर स्वच्छता दूतों के जरिए करवाते हैं, जो गंदे नाले में उतर कर उसकी सफाई करते हैं। शहर को डूबने से बचाने वालों को उनका पूरा वेतन तक नहीं दिया जाता है। मनपा के टेंडर क्रमांक 2019 एमबीएमसी 435251-1 के लिए तीन कंपनियों ने निविदा दायर की थी। यह टेंडर मनपा आयुक्त और स्थाई समिति के समक्ष आशापुरा कंट्रक्शन कंपनी को दिया गया। ठेका लेनेवाली कंपनी से मनपा ने करारनामा किया जिसमें मजदूरों का वेतन, मशीनों का भाड़ा आदि सहित अन्य उपकरणों का खर्च बताया गया था। जो श्रमिक शहर के नालों में उतर कर साफ-सफाई करता है, उन्हें रोजाना 1,075 रुपए वेतन के तौर पर मिलना चाहिए, परंतु इन्हें तीन सौ से चार सौ रुपए ही रोजाना अदा किए जाते हैं। ठेकेदारों के जरिए श्रमिकों के शोषण पर प्रशासन चुप है। सेफ्टी उपायों के बिना श्रमिकों को गटर के अंदर जाने देकर उनकी जान जोखिम में डाला जा रहा है।
गंभीर विषय है
श्रमिकों को कम वेतन दिया जा रहा है, तो यह गंभीर विषय है। हालांकि शहर के नालों और गटर की साफसफाई अंतिम चरण में है। इसका जायजा खुद ले रहा हूं। प्रभाग में कई बड़े नाले हैं।
चंद्रकांत वैती, उप महापौर