बीते कुछ हफ़्तों से एनसीपी नेता और महाराष्ट्र विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष अजित पवार को लेकर कई तरह की अटकलें लग रही है। उनके अगले राजनीतिक कदम पर लगातार सस्पेंस बना हुआ है कि आखिर वह करना क्या चाहते हैं? पहले यह खबर उड़ी थी कि वह एनसीपी तोड़कर बीजेपी के समर्थन से राज्य के मुख्यमंत्री बनेंगे। उसके बाद फिर अफवाह उड़ी कि कहीं न कहीं वह शरद पवार के ‘मौन समर्थन’ से बीजेपी के साथ एनसीपी को मिलाकर महाविकास आघाडी (MVA) गठबंधन से बाहर निकल आएंगे। लेकिन छोटे पवार और पार्टी प्रमुख शरद पवार दोनों ही ने तमाम अटकलों को ख़ारिज कर दिया था।
कई ऐसे मौके आए जब बार-बार यह सवाल उठा कि आखिर अजित पवार की मंशा क्या है? मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो एनसीपी में कहीं न कहीं शरद पवार के उत्तराधिकारी बनने और एनसीपी का नेतृत्व करने को लेकर थोड़ी अलग तरह की लड़ाई चल रही है। पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के हवाले से इसे परिवार के भीतर उत्तराधिकार की जंग भी बताया जा रहा है।
शरद पवार धीरे-धीरे सक्रिय राजनीति से दूर हो रहे थे, लेकिन कहा जा रहा है कि आज उन्होंने अपने इस्तीफे से पहले अपने उत्तराधिकारी का भी नाम तय कर लिया है। उनकी पहली पसंद बेटी सुप्रिया सुले को माना जा रहा हैं, लेकिन संगठन में एक तबके को यह भी लगता है कि अजित पवार को यह हक मिलना चाहिए और एनसीपी की कमान छोटे पवार को मिलनी चाहिए। ऐसे में उनकी हालिया गतिविधि शरद पवार पर उत्तराधिकारी घोषित करने के लिए दबाव बनाने की रणनीति भी मानी जा रही है।
अजित पवार का एनसीपी में खासा दबदबा है, जिसकी झलक आज भी यशवंतराव चव्हाण सेंटर में दिखी। जब उन्होंने सुप्रिया सुले को पिता के इस्तीफे पर बोलने से रोक दिया। जबकि उन्होंने यहां तक कह दिया कि शरद पवार के इस्तीफे की घोषणा 1 मई को ही होने वाली थी।
शरद पवार के दोस्त विठ्ठल मणियार ने कहा कि सभी पहलुओं पर विचार-विमर्श के बाद ही शरद पवार ने इस्तीफा देने का फैसला किया है। मुझे नहीं लगता कि शरद पवार आज का फैसला वापस लेंगे। एनसीपी के अगले अध्यक्ष को लेकर शरद पवार सभी से चर्चा करने के बाद ही कोई फैसला लेंगे। लेकिन यह बात सब जानते हैं कि शरद पवार के दिल में क्या है इसका अंदाजा लगाना बहुत ही मुश्किल है।
शरद पवार ने आज क्या कहा?
एनसीपी के मुखिया के पद से अपने इस्तीफे की घोषणा करते हुए शरद पवार ने कहा कि उनकी राजनीतिक यात्रा 1 मई 1960 में शुरू हुई थी और पिछले 63 वर्ष से अनवरत जारी है। उन्होंने कहा, “इतने वर्षों में मैंने विभिन्न पदों पर रहते हुए महाराष्ट्र और देश की सेवा की है। मेरी राज्यसभा की सदस्यता का 3 वर्ष का कार्यकाल अभी बाकि है। इस दौरान मैं बिना किसी पद के महाराष्ट्र और देश के मुद्दों पर ध्यान दूंगा। 1 मई 1960 से 1 मई 2023 की लंबी अवधि में एक कदम पीछे लेना जरूरी है। इसलिए मैंने एनसीपी का अध्यक्ष पद छोड़ने का फैसला किया है।’’