हाल में सऊदी अरब की तेल रिफायनरी पर ड्रोन के जरिए हमला किया गया था, जिसके बाद दुनिया भर में कच्चे तेल का भाव बढ़ गया था। इसका नतीजा है कि घरेलू उपभोक्ता पेट्रोल और डीजल की ऊंची कीमत चुका रहे हैं। सऊदी रिफायनरी पर अटैक के बाद ड्रोन को लेकर दुनिया की सोच बदल गई। ड्रोन के लिए सख्त नियमन पर जोर दिया जा रहा है।
भारत पर भी ड्रोन अटैक का खतरा मंडरा रहा है। खासकर पाकिस्तान की तरफ से पंजाब के सीमावर्ती जिले में एक-47 जैसे हथियार गिराए गए हैं। पंजाब पुलिस और एनआइए की जांच में खुलासा हुआ कि यह हथियार जम्मू एवं कश्मीर के आतंकियों के पास पहुंचाए जाने थे। लेकिन, समय पर हुई कार्रवाई के चलते हथियार सहित कुछ आरोपी गिरफ्तार किए गए।
…सुरक्षा बल कर रहे तैयारी फिक्की ने यह रिपोर्ट ईवाई इंडिया के सहयोग में तैयार की है। ड्रोन विमान (यूएवी) और उनका सामना विषय पर गहन अध्ययन किया है। इसमें बताया गया है कि सुरक्षा बलों ने ड्रोन से जुड़े खतरे को चुनौती के रूप में लिया है। इससे मुकाबले की तैयारी भी सशस्त्र सेना की तरफ से की जा रही है। दुश्मन देश के ड्रोन को देश की सीमा घुसने से रोकने के उपायों पर काम चल रहा है।
एयरपोर्ट के लिए खतरा रिपोर्ट में बताया गया है कि अपंजीकृत ड्रोन देश के हवाई अड्डों के लिए खतरा साबित हो सकते हैं। इनके जरिए अहम ठिकानों को निशाना बनाया जा सकता है। मुंबई एयरपोर्ट के पास कई बार संदिग्ध ड्रोन देखे गए हैं। इसकी जांच भी कराई गई है।
सख्त उपाय की जरूरत देश में ड्रोन की मांग साल दर साल बढ़ रही है। अनुमान के अनुसार 2020 तक घरेलू बाजार में ड्रोन का कारोबार 700 करोड़ रुपए से ज्यादा हो सकता है। केंद्र सरकार ने ड्रोन पर नियंत्रण के लिए कानून जरूर बनाया है, जिसमें कुछ दिशा-निर्देश तय किए गए हैं। फिक्की का कहना है कि सऊदी अरब जैसी कोई अप्रिय घटना भारत में न हो, इसके लिए सरकार को ड्रोन संचालन बाबत सख्त उपाय करने चाहिए।