nashik news: मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे बंद, किसे बेचें फूल?
लॉक डाउन में फूलों की खुशबू गायब
व्यवसाय पर निर्भर 51,000 के हाथों से छिना रोजगार
नासिक बरसाती गेंदा फूल उगाने में अव्वल है, सालभर होती है खेती
nashik news: मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे बंद, किसे बेचें फूल?
सुजीता दास
नासिक. मंदिरों, शादी-विवाहों अन्य उत्सवों की शोभा बढ़ाने वाली फूलों को इन दिनों कूड़े के ढेरों में फेंका जा रहा है। छोटी नवरात्रि, राम नवमी, हनुमान जयंती जैसे त्यौहार में फूलों की मांग नहीं रही, तो शादियां ना होने से जो ऑर्डर मिले भी थे वो रद्द हो गए. महाराष्ट्र में 16 हजार हेक्टेयर फूल क्षेत्र को नुकसान हुआ है। जबकि, व्यवसाय पर निर्भर 51 हजार के हाथों से रोजगार छिन गया है। अब तक 6 से 7 सौ करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। पुणे, नासिक, कोल्हापुर, ठाणे, औरंगाबाद, सांगली, सातारा, नागपुर, नांदेड़ जिलों में फूलों की खेती बड़े पैमाने में होती है, पर लॉकडाउन ने फूल व्यापार की रीढ़ तोड़ दी है।
पॉलीहाउस, नेट शेड, खुले स्थान के फूल मुरझाए
पॉलीहाउस, नेट शेड, खुले स्थान के फूल जगह पर मुरझा गए। महाराष्ट्र में फूलों का उत्पादन बड़ा है। पॉलीहाउस में उगे आधे से अधिक फूल उत्तर भारत में बिक्री के लिए जाते हैं। महाराष्ट्र में नासिक जिला बरसात के मौसम में गेंदे की खेती करने में अव्वल है, सालभर खेती होती हैं। 5,000 हेक्टेयर पॉलीहाउस, 3,000 हेक्टेयर नेट शेड और 7,000 हेक्टेयर खुली भूमि पर फूलों की खेती होती है। इस बार ऐन मौसम के दौरान कोरोना फैल गया और लॉकडाउन लगाया गया। गर्मी की छुट्टियों में घूमने, शादी, पार्टियां, धार्मिक स्थलों को बन्द कर दिया गया। लॉकडाउन के कारण बाजारें बंद रही। उच्च उत्पादन लागत पॉलीहाउस धारक किसानों को भारी नुकसान हुआ।
गेंदा फूल लगाने को लेकर दुविधा में किसान
लॉकडाउन से हो रही क्षति के कारण किसान गेंदा की खेती करने को लेकर दुविधा में हैं। महाराष्ट्र की 16 हजार हेक्टेयर में से 8 हजार हेक्टेयर पर गेंदे की खेती होती है। गणेशोत्सव, नवरात्रि और दिवाली पर भी कोरोना असर दिखने के आसार हैं। इन त्योहारों पर गेंदा फूल की अधिक मांग होती है। जुलाई माह में दशहरा और दिवाली को ध्यान में रखते हुए गेंदा लगाया जाता है। मैरीगोल्ड नासिक जिले के दिंडोरी, कलवन, चाँदवड, निफाड़ में उगाई जाती है। जून लगभग खत्म होने के कगार में है, ऐसे में वर्तमान स्थितियों भांपते हुये किसान खेती करने को लेकर जद्दोजहद में है।
नकली फूलों ने ली असली फूलों की जगह
आयात-निर्यात न होने से सजावटों के लिए नकली फूलों ने असली फूलों की जगह ले ली है। अभी मंडी में केवल लोकल किसानों द्वारा उगाए फूलों की खरीद चल रही है। पोपटराव पाटिल अपनी 30 बीघा जमीन में गुलाब और गेंदा के फूलों की खेती किया करते हैं और इन्हीं फूलों की खेती के माध्यम से इनके परिवार का भरण-पोषण भी होता है। इनके सामने समस्या ये है कि फूल या तो मंदिर में चढ़ाने के काम आते हैं या फिर शादियां या अन्य मांगलिक कार्यक्रमों में इसका उपयोग होता है। अब लॉकडाउन के कारण मंदिर, मस्जिद और गुरुद्वारे बंद हैं, तो वहीं शादी ब्याह पर भी बैन लगा हुआ है तो फूल किसे बेचें? यही वजह है से वे अपनी कई बीघा की फूलों की खेती को अपने हाथों से नष्ट करने में लगे हैं, ताकि अब यहां कुछ और उपज पैदा करे जिससे दो पैसे कमाया जाए।
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