तेरापंथ समाज की देश और विदेश में 22 अंचल ज्ञानशाला चल रही हैं। मुंबई इन अंचलों में एक ऐसा अंचल है जहां 63 ज्ञानशाला और 450 अध्यापिकाएं लगभग तीन हजार छात्रों का समावेश है। अपने सरकारी स्कूल से ज्ञान प्राप्त करने के अलावा यह छात्र सप्ताह में दो दिन शनिवार और रविवार को दो घण्टे ज्ञानशाला आकर शिक्षा प्राप्त करते हैं। इन छात्रों को यहां निशुल्क शिक्षा दी जाती है, ज्ञानशाला की अध्यापिकाएं भी निशुल्क पढ़ाती हैं। अध्यापिकाओं का भी तीन वर्ष के पाठ्यक्रम के में परीक्षाओं का आयोजन होता है, जिसके उपरांत इन्हें इनकी काबिलियत के अनुसार दीक्षांत समारोह में आचार्य डिग्री प्रदान की जाती है। हर वर्ष इनके बौद्धिकता को निखारने के लिए मुंबई ज्ञानशाला लिखित परीक्षाओं का आयोजन करती है।
ज्ञानशाला के माध्यम से बच्चों के हुनर को निखारने के लिए नृत्य प्रतिस्पर्धा, गायन, वादन, पाक कला, खेलकूद, पिकनिक, चित्रकला जैसे कई स्पर्धाओं का आयोजन किया जाता है। इसमें बेहतरीन परफॉर्मेंस वाले छात्रों को सम्मानित किया जाता है।
इन ज्ञानशालाओं को आंचलिक संयोजिका सुमन चपलोत की देखरेख में संचालित किया जाता है। इसके अलावा सहसंयोजिका अनीता परमार एवं विभागीय संयोजिका राजश्री कच्छारा की देखरेख में ज्ञानशाला के बच्चों को समाज में एक नई ऊंचाई देने के लिए निष्ठापूर्वक कार्य होता है। इनके प्रयास से समाज के नौनिहालोंको आध्यत्मिक ज्ञान और विकास की दिशा की तरफ ले जाने में मदद मिल रही है।
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इन ज्ञानशालाओं को सभी प्रकार का सहयोग सभा के अध्यक्ष नरेंद्र तातेड़, सभा मंत्री विजय पटवारी एवं विनोद बोहरा के माध्यम मुंबई सभा से मिलता रहता है। मुंबई ज्ञानशालाओं को नई दिशा देने में सभी विभागों की ओर से अनीता सिंयाल, चंचल परमार, शीतल सांखला, मधु मेहता, अंजना सिंघवी, भाग्यवती कच्छारा, शांता कोठारी, संजू दुग्गड़ आदि प्रमुख भूमिका निभा रही हैं।