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मुंबई

ईसर-गणगौर महोत्सव का समापन

धूमधाम से निकाली गई गणगौर की शोभा यात्रा

मुंबईApr 11, 2019 / 06:50 pm

Devkumar Singodiya

धूमधाम से निकाली गई गणगौर की शोभा यात्रा

धूमधाम से निकाली गई गणगौर की शोभा यात्रा

ठाणे. राजस्थान प्रगती मंडल की ओर से आयोजित ईशर-गणगौर महोत्सव की शोभायात्रा का समापन हुआ। इस यात्रा में घोड़े बग्गी और गाजे बाजे के साथ नारायण निवास से शुरू हुई थी। इस यात्रा में ठाणे जिला के पालक मंत्री ने भी शामिल होकर अपने सर पर गणगौर को पारंपरिक तरीके से लेकर पूजा अर्चना की। अध्यक्ष जनक व्यास, निर्मल कुमार विदावतजीका, ओमप्रकाश सोमाणी, मनीष मित्तल, मुकेश चंद जारा, हरीश कोठारी, मनमोहन मूंदड़ा, विश्वनाथ बगडिया, लक्ष्मीकांत पोद्दार, ओमप्रकाश झाझुका, राजेश हलवाई, संजय चूड़ीवाला, पवन कुमार शर्मा, सचिन एस. टिबड़ेवाल, सुधीर मस्करा, शिवप्रकाश अग्रवाल, नीरज एस. मोदी, वीरेंद्र कुमार रूंगटा, महेश कुमार लोहाटी, रामप्रकाश अग्रवाल, संदीप माहेश्वरी आदि ने कार्यक्रम को सफल बनाने के लिए अथक प्रयास किया।

शरबत वितरण का आयोजन
ठाणे. जैन सोशल ग्रुप की ओर से गुडीपाडवा के पर्व पर शरबत वितरण का आयोजन संस्था की ओर से किया गया था। जिसमें स्थानीय विधायक संजय केलकर के हाथों शरबत वितरण के कार्यक्रम की शुरुआत हुई और यह पूरे दिन चलता रहा। इसको सफल बनाने में अध्यक्ष विनोद वडाला, पंकज जैन संस्था के पदाधिकारी महिला और पुरूष दिखाई दे रहे है।

संस्कार निर्माण फाउंडेशन का आयोजन

मुंबई. सामाजिक संस्था संस्कार निर्माण फाउंडेशन के तत्वावधान में गणगौर महोत्सव का आयोजन किया गया। सांताक्रुज पूर्व में राजस्थानी परंपरा से हुई गणगौर पूजा में काफी संख्या में महिलाओं ने भाग लिया।
सभी ने अपने सुहाग और संतान की रक्षा एवं दीर्घायु के लिए गणगौर से प्रार्थना की। राजस्थानी परंपरा में गणगौर पूजन का काफी महत्व है। उसी परंपरा को मुंबई में संवर्धन एवं संरक्षण के लिए संस्था ने इसका आयोजन किया, जहां वैदिक विधान से रमा गोयल, वैजयंती गोयल, उमा गोयल, सुषमा खोवाला आदि के साथ सौ से अधिक सुहागिन महिलाओं एवं कन्याओं ने पूजा की। संस्था की महिला समिति अध्यक्ष उषा सरावगी के अनुसार सांताक्रुज में गणगौर महोत्सव राजस्थानियों के लिए उनकी परंपरा, समाजसेवा सर्वोपरि होती है। संस्था सचिव सुरेश सरावगी ने बताया कि गणगौर राजस्थानी समाज का प्रमुख त्यौहार है जिसमें महिलाएं होली के अगले दिन से ही होली की राख और मिट्टी से गणगौर का निर्माण कर उनकी पूजा करती हैं जो चैत्र नवरात्र की तृतीया तिथि को संपूर्ण होता है। ‘तीज तींवरा बावड़ी, ले डूबी गणगौर अर्थात तीज के दिन गणगौर का तालाबों में विसर्जन के साथ चार महीने तक त्योहारों पर विराम लग जाता है।

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