कांग्रेस में जितने नेता उतने गुट, खुलकर आने लगी है गुटबाजी।
कांग्रेस में जितने नेता उतने गुट, खुलकर आने लगी है गुटबाजी। निरुपम पर अब भाई जगताप ने साधा निशाना निरुपम को विधायक भाई जगताप ने भी ट्वीट कर जातिवादी राजनीती करने का आरोप लगाया है। भाई जगताप ने निरुपम का नाम ना लेते हुए कहा कुछ लोग कांग्रेस में होने का झूठा दावा करते हैं लेकिन वे कांग्रेसी नहीं है। जातिवाद और भाषवाद की राजनीती करने वाले ऐसे नेताओं से कांग्रेस को बचाना चाहिए।
the number of leaders in the Congress is coming to the fray
मुंबई। कांग्रेस में नेताओं के बीच बढ़ी गुटबाजी अब खुलकर सामने आने लगी है। मुंबई कांग्रेस से अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे चुके मिलिंद देवड़ा पर टिपण्णी करने वाले हिंदीभाषी नेता संजय निरुपम को विधायक भाई जगताप ने भी ट्वीट कर जातिवादी राजनीती करने का आरोप लगाया है। भाई जगताप ने निरुपम का नाम ना लेते हुए कहा कुछ लोग कांग्रेस में होने का झूठा दावा करते हैं लेकिन वे कांग्रेसी नहीं है। जातिवाद और भाषवाद की राजनीती करने वाले ऐसे नेताओं से कांग्रेस को बचाना चाहिए। दरअसल मुंबई में जितने कांग्रेसी नेता है उतने गुट हैं।
भाई जगताप का यह बयान साफ़ तौर पर संजय निरुपम के लिए था। निरुपम को जगताप ने भाषावादी और जातिवादी राजनीती करने का आरोप अप्रत्यक्ष रूप से लगाया। इस बारे में भाई जगताप ने कहा कि मैंने किसी का नाम नहीं लिए है लेकिन समझने वाले समझ रहे हैं। पार्टी वरिष्ठ पदाधिकारी पर टिपण्णी करने की परंपरा कांग्रेस में नहीं रही है लेकिन अब कुछ लोग अपने वरिष्ठ पदाधिकारियों पर सीधे टिपण्णी कर रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम ने मौजूदा अध्यक्ष व् पूर्व मंत्री मिलिंद देवड़ा पर टिपण्णी किया था कि उन्होंने मुंबई कांग्रेस के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिया है लेकिन उच्च पद के लिए मांग कर रहे हैं। जब कि इस्तीफा त्याग की भावना से दिया जाता है लेकिन मौजूदा अध्यक्ष ने त्याग की भावना से इस्तीफा नहीं दिया है।
निरुपम को हटाकर मिलिंद को अध्यक्ष बनाया गया था। मिलिंद ने भी निरुपम को अध्यक्ष रहते हुए कई मामले में विरोध व्यक्त किया था। इनके आलावा भी स्वर्गीय गुरुदास कामत गुट के लोग इन दोनों से नाराज हैं। एकनाथ गायकवाड़ का अलग गुट है। प्रिय दत्त और नसीम खान का अपना अलग अलग गुट है। हिंदीभाषी नेता कृपाशंकर सिंह का अलग गुट है। मुंबई कांग्रेस में जितने नेता है उतने गुट है। ऐसे में राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से राहुल के इस्तीफे के बाद भी मुंबई कांग्रेस के उत्थान के लिए कोई फर्क पड़ने की गुंजाइस नहीं है।
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