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मुंबई

देर से खुली प्रशासन की नींद, अब जामझाड़पाड़ा में सुविधा की बौछार

लालटेन युग में जी रहा था जामझाड़पाड़ा

मुंबईMay 04, 2019 / 05:37 pm

Devkumar Singodiya

लालटेन युग में जी रहा था जामझाड़पाड़ा

लालटेन युग में जी रहा था जामझाड़पाड़ा

मीरा भायंदर. मायानगरी और भायंदर उत्तर से सटे जामझाडपाड़ा में आजाद के वर्षों बाद बिजली के कनेक्शन पहुंचने पर आदिवासी लोगों के चेहरे पर कौतुहल भरी खुशी प्रकट हुई है। पानी, बिजली जैसी बुनियादी सुविधाओं के लिए यहां की जनता वर्षों से राह ताक रही थी, स्थानीय जनप्रतिनिधियों के वोट बैंक बनी यहां की जनता की समस्याओं को बड़े अधिकारियों की नजर गई। इसके बाद यहां की समस्याओं को दूर करने की कवायद तेज हुई।
पानी की समस्या होने के बाद इस गांव के सामाजिक संगठनों की मदद से बोरिंग की गई और गांव में बिजली पहुंची है। जामझाड पाड़ा गांव आदिवासियों का गांव है जिसमें 52 घर है। यह गांव आजादी के बाद वर्ष 2018 तक मूलभूत सुविधाओं से वंचित रहा है।
इस गांव के लोग अपना मोबाइल फोन चार्ज करके लिए या तो भायंदर आते थे या मुंबई में जहां काम करते थे वहां की बिजली का उपयोग करते थे। गांव की समस्यायों को जब पत्रिका ने प्राथमिकता से प्रकाशित किया तो आदिवासियों ने पत्रिका के प्रति आभार व्यक्त किया और इस गांव की ओर सामाजिक संगठनों ने रुख किया।
गांव के सैकड़ों लोगों ने पहली बार 2018 में दीपावली मनाई, जिसका आयोजन मीरा रोड के समाजसेवी गुलाम नबी फारुखी ने किया था। फारुखी ने जेरनेटर की मदद से गांव में रोशनी की और सभी ने पहली बार दीपावली की रात रोशनी में पारंपरिक तरीके मनाई।


गड्ढे का पानी पीते थे
वर्ष 2018 में दो बोरिंग कराई गई और गांव को साफ-सुथरा पानी उपलब्ध हुआ। इसके पहले गांव वाले एक गड्ढे में जमा पानी का इस्तेमाल करते थे, जो मानसून में जमा होता था। यह गांव उत्तर मुम्बई लोकसभा क्षेत्र में आता है और राज्य के शिक्षा मंत्री विनोद तावड़े का विधानसभा क्षेत्र है। इसके बावजूद यह गांव सुविधाओं से अछूता रहा। इस गांव में स्कूल है पर टीचर नहीं है। जिसकी व्यवस्था फारुखी ने की थी पर यह व्यवस्था अधिक दिनों तक नहीं हो पाई। आदिवासियों के बच्चे पढऩे के लिए छह किलोमीटर दूर गोराई जाते है। शुक्रवार की सुबह इस गांव में सूरज की रोशनी के साथ बिजली का मीटर लिए बिजली विभाग के कर्मचारी पहुंचे और वर्षो बाद इस गांव के घरों में बिजली के बल्ब रोशनी से जगमग हो उठे, जिसके बाद लोगों के चेहरे पर मुस्कान खिल उठी। इस गांव के बच्चे या तो सूरज की रोशनी में पढ़ते थे या तो लालटेन की रोशनी में। गांव में बिजली आने से बच्चों के चेहरे पर खुशी झलक रही थी।

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