इन्होंने किया नेतृत्व
विभिन्न संगठनों के नेता शिवाजी राव ढवले, धर्मभूषण बागुल, सुनिल बालेराव, बाबुराव माने, चंद्रप्रकाश देगलुरकर, रामचंद्र भराडे, राजपाल सिंह राठौड़ ने धरने का नेतृत्व किया। प्रदर्शनकारियों ने शिक्षा, स्वास्थ्य, पदोन्नति, आरक्षण, सरकारी व निजी क्षेत्र में आरक्षण देने की मांग की।
यह है प्रदर्शनकारियों की प्रमुख मांगें
प्रदर्शनकारियों ने कहा कि पदोन्नति में जो भी समस्याएं हैं। उनका समाधान करना चाहिए। क्रिमीलेयर को हटाया जाए। क्रिमीलेयर के जरिए आदिवासियों व अजा-जजा के अधिकारों को छीना जा रहा है। आदिवासियों को वनभूमि में खेती का पट्टा, आदिवासी छात्रों की स्कालरशिप बढाना, समय पर स्कालरशिप देना, आदिवासी आश्रम स्कूलों में सुविधाएं उपलब्ध कराना, शिक्षा के निजीकरण पर रोक लगाना, शिक्षा के निजीकरण के खिलाफ सख्त कानून बनाना, अजा-जजा के फर्जी प्रमाण पत्रों की उचित जांच करना,दलितों के लिए ही पृथक क्षेत्र का गठन करन, संविधान की रक्षा और इसके उचित क्रियान्वयन पर सख्त कदम उठाना, बजट में अनुपात सुनिश्चित कर आदिवासियों व दलितों को देना चाहिए।
इन गांवों के आदिवासियों ने लिया हिस्सा
आगामी चुनावों में ईवीएम को रद्द कर बैलेट पेपर पर कराना चाहिए। इस धरना प्रदर्शन में नंदूरबार, मालेगांव, सटाना, धुलिया, यवला, चालीस गांव, भूसावल, संगमेर, मनमाड, नांदगांव, कोप्परगांव, इगतपुरी, देवला, चांदवड, दोंडाइचा, साक्री, राहता आदि गांवों के आदिवासी किसानों ने भाग लिया था।