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मुंबई

पर्यावरण के लिए श्रमिक की बेटी का संघर्ष, मुकाम पाया

अब बेटी भी सफलता की ओर बढ़ चली

मुंबईMar 08, 2019 / 06:45 pm

Devkumar Singodiya

womens day

अब बेटी भी सफलता की ओर बढ़ चली

उल्हासनगर. एक श्रमिक पिता का सपना था कि उसकी बेटी चूल्हे चौके के चक्कर में न पड़कर उच्च शिक्षा प्राप्त करें और सफलता के मुकाम पर पहुंचे और आज उनकी बेटी ने वो काम कर दिखाया है जो साधारण महिला के लिए बहुत कठिन होता है। कठिन परिस्थितियों में जीवन जीया और पढ़ाई के बल पर वह मुकाम हासिल किया, जो समाज के काम आया। अस्पतालों के आगे डीजे बजाना, पटाखे छोडऩे को मुद्दा बनाया और जब बात अफसरों के कान में पहुंची तो इस बेटी को मामूली समझ फटकार दिया। लेकिन कोर्ट तक मुद्दे को उठाया और अंत में कोर्ट ने भी श्रमिक की बेटी को न्याय दिलाया, अफसरों को झुकना पड़ा और इसके खिलाफ कदम उठाने पड़े।
उत्तरभारतीय माता-पिता अनुसूया और शेषनाथ चौबे की बेटी सरिता ने होश संभाला तो पांच सदस्यों के परिवार को 20 बाई 30 के छोटे से किराए के मकान में पाया। मां चाहती थी कि वह घर का काम काज सीख ले परन्तु पिता का सपना था कि उनकी लाडली उच्च शिक्षा प्राप्त करे, इसलिए उसे सेंचुरी स्कूल में दाखिला दिलवाया, ताकि गरीबी उसकी शिक्षा में आड़े नहीं आए। माता-पिता ने जी-तोड़ मेहनत की। सरिता ने 12वीं के पश्चात बीएससी में स्नातक बनकर पिता को दिखाया कि उनकी बेटी अब शिक्षा के स्तर पर आगे बढ़ रही है। 12 दिन बाद ही उसे नौकरी का ऑफर आया और सरिता सेवा सदन कॉलेज में शिक्षिका बन गई। उसने बीएससी के बाद बीएड किया, फिर अंग्रेजी साहित्य में एमए किया। पढ़ाई का सिलसिला यहीं नहीं रुका। सरिता ने नेचुरोपैथी और गाइडेंस एंड कौन्सेल्लिंग में डिप्लोमा भी किया। इस बीच एक संस्था में समाजसेवा करते हुए सरिता की मुलाकात एडवोकेट पुरुषोत्तम खानचंदानी से हुई और सामान विचारधारा और स्नेह के दायरे में बंधे दोनों समाजसेवी परिणय सूत्र में बंध गए। एडवोकेट पुरुषोत्तम ने सरिता को अपने जीवन का लक्ष्य निर्धारित करने को प्रेरित किया। छात्रों को विज्ञानं का पाठ पढ़ाने वाली सरिता के जीवन में नया मोड़ तब आया जब उसने पर्यावरण को बचाने और प्रदूषण फैलाने वालों के खिलाफ संस्था का निर्माण किया, जिसका नाम हिराली फाउंडेशन रखा। इस संस्था के बैनर तले सरिता और पुरुषोत्तम ने शारीरिक रूप से विकलांग बच्चों के लिए स्कूल बनाने का निर्णय लिया है और जल्द ही यह स्कूल खुलने वाला है।

बेटी ने भी किया गर्व से सिर ऊंचा
सरिता और पुरुषोत्तम की एक बेटी है स्पर्श जो यूपीएससी करने वाली है और उसको इंडियन फोरेन सर्विसेज करना है, जिस तरह आईएएस होता है। फिलहाल स्पर्श लॉ की छात्रा है। स्पर्श की खास बात यह है कि उसकी योग्यता को देखते हुए कलर्स चैनल पर चलने वाले धारावाहिक उतरन में इच्छा किरदार का लीड रोल मिला। फिर उसको यशराज फिल्म्स के बनेर तले रानी मुखर्जी के साथ हिंदी फिल्म हिचकी में मुख्य किरदार मिला। वह सीआईडी, क्राइम फाइल, फियर फाइल, डांस और रियलिटी शो में हिस्सा बन चुकी है। कई संस्थाओं ने उसे पुरस्कार से नवाजा है। अभी भी उसे ढेर सारे ऑफर आते हैं, परन्तु उसकी मां सरिता ने कहा कि जब स्पर्श शूटिंग करने में व्यस्त हो गई और 11 माह तक स्कूल नहीं जा पायी तो हम सब ने मिलकर निर्णय लिया की फिल्में और धारावाहिक तो बाद में भी कर सकते हैं।
प्रदूषण रोकने के लिए संघर्ष ने दिलाई पहचान
प्रदूषण के मामले में जब सरिता ने आवाज उठाई तो प्रशासन, पुलिस और प्रदूषण नियंत्रण मंडल ने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। सूचना अधिकार के माध्यम से प्रदूषण विरोधी नियम और कानून के बारे में जानना चाहा तो वह भी प्राप्त नहीं हुआ। इससे सरिता का निश्चय तब दृढ़ हुआ जब एक मनपा आयुक्त ने अपने दफ्तर में महिलाओं के लिए अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुए सुरक्षा अधिकारी बुलाकर उन्हें दफ्तर से बाहर निकलवा लिया। तब मेरे स्वाभिमान को चोट लगी और कोर्ट में प्रदूषण और पर्यावरण के मामले में याचिका दायर की। समय लगा लेकिन सकारात्मक परिणाम सामने आया। कोर्ट ने नियमों की अनदेखी करने वालों को फटकार लगाई। तब ठाणे पुलिस आयुक्त, परिमंडल चार के उपयुक्त, मनपा और प्रदूषण कंट्रोल बोर्ड ने कोर्ट के कहने पर अधिकृत रूप से माफी मांगी। सरिता का मकसद था कि अस्पतालों के पास पटाखे न जलाएं, इससे वृद्ध और बीमार लोगों को तकलीफ होती है। पक्षी मर जाते हैं। पर्यावरण दूषित होता है। पटाखे और डीजे के कारण परेशानी होती है।

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