आज लोगों में नम्रता का अभाव
मुनि कमल कुमार ने इस मौके पर कहा कि पहले मां-बेटी, पिता-पुत्र, के बाद आज की कार्यशाला सास – बहू पर आधारित है। सास व बहू यदि समन्वय के साथ रहते हैं, तो वह परिवार गौरवशाली परिवार बनता है। पहले वह जमाना था, कि बहू अपने सास से पूछे बिना कोई कार्य नहीं करती है। पर अब इसमें बहुत बदलाव आया है। आज के दौर में नम्रता का अभाव है, इसलिए लोग अपने व्यवहार पर नियंत्रण नहीं रखते हैं। जो व्यक्ति आक्रोश को सहता है, वह बहुत बड़ा होता है। सभी बहुओं को संकल्प करना होगा कि हम अपनी सासुओं को छोड़ कर कभी नहीं जाएंगी। एक दूसरे को समझकर चलें। साध्वी वृन्द ने सुमधुर गीतिका का संगान किया।
अपने घर से करनी होगी शुरूआत
मुंबई अध्यक्षा जयश्री बड़ाला ने कहा कि हमें अपने घर से शुरुआत करनी है। सास व बहू का रिश्ता बहुत ही नाजूक रिश्ता होता है। सास बहू के रिश्तों में किस तरह मिठास लाना है, आज के समय में यह एक ज्वलंत समस्या है, क्योंकि आज की बहुएं पढ़ी-लिखी होती है, वह सामंजस्य स्थापित करने में योगदान दें। इस रिश्ते को एक अच्छा रिश्ता बना सकती हैं। सास व बहू का अजीब नाता है, एक दूसरे को समझ कर सुधार ला सकते है। इस अवसर पर अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल परामर्शक प्रेमलता सिसोदिया, कांता तांतेड़, भाग्यश्री कच्छारा, रचना हिरण, तरुणा बोहरा, मुंबई महिला मंडल मंत्री श्वेता सुराणा, सुनीता परमार, स्वीटी लोढा आदि मौजूद रहीं।