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सिगरेट पीने के साथ ही सेकेंड हैंड स्मोक भी खतरनाक

वल्र्ड नो टोबेको डे

मुंबईMay 31, 2019 / 06:06 pm

Devkumar Singodiya

वल्र्ड नो टोबेको डे

वल्र्ड नो टोबेको डे

मुंबई. विश्व तंबाकू निषेध दिवस पर शुक्रवार को देश-विदेश में तंबाकू सेवन के खिलाफ जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे। आंकड़ों का जाल फैलाकर लोगों को इसके खतरनाक रूप से आगाह किया जाएगा। लेकिन सबसे अधिक हैरत की बात है कि इस तंबाकू के धुंए से जो किसी व्यसन के आदी नहीं है, वह भी दिन-रात इसकी चपेट में आ रहे हैं। यानी सेकेंड हैंड स्मोक के कारण बड़ी संख्या में लोग बीमारी के शिकार हो रहे हैं। आंकड़े बताते हैं कि विश्व में एक मिनट में एक करोड़ सिगरेट पी ली जाती है। इस सिगरेट का धुंआ वातावरण में करीब पांच घंटे तक हवा में रहता है, जो फेफड़ों के कैंसर, सीओपीडी और अन्य संक्रमण का कारण बनता है। तंबाकू का धुआं इनडोर प्रदूषण का बहुत खतरनाक रूप है, क्योंकि इसमें 7000 से अधिक रसायन होते हैं, जिनमें से 69 कैंसर का कारण बनते हैं।
संबंध हेल्थ फाउंडेशन के ट्रस्टी अरविंद माथुर ने बताया कि ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे 2017 के अनुसार भारत में सभी वयस्कों में 10.7 प्रतिशत (99.5 मिलियन) वर्तमान में धूम्रपान करते हैं। इनमें 19 प्रतिशत पुरुष और 2 प्रतिशत महिला शामिल हैं। भारत में 38.7 प्रतिशत वयस्क घर पर सेकेंड हैंड स्मोक (एसएचएस) और 30.2 प्रतिशत वयस्क कार्यस्थल पर एसएचएस के संपर्क में आते हैं। सरकारी भवनों, कार्यालयों में 5.3 प्रतिशत स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं में 5.6 प्रतिशत रेस्तरों में 7.4 प्रतिशत और सार्वजनिक परिवहन में 13.3 प्रतिशत लोग सेकंड हैंड स्मोक के संपर्क में आते हैं। ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे के अनुसार भारत में आयु 15 वर्ष से अधिक है और वर्तमान में किसी न किसी रूप में तम्बाकू का उपयोग करते हैं ऐसे वयस्कों की संख्या 28.6 प्रतिशत (266.8 मिलियन) है। इन वयस्कों में 24.9 प्रतिशत (232.4 मिलियन) दैनिक तंबाकू उपयोगकर्ता हैं और 3.7 प्रतिशत (34.4 मिलियन) कभी कभार के उपयोगकर्ता हैं। भारत में हर दसवां वयस्क (10.7 प्रतिशत 99.5 मिलियन) वर्तमान में तंबाकू का सेवन करता है। 19.0 प्रतिशत पुरुषों में और 2.0 प्रतिशत महिलाओं में धूम्रपान का प्रचलन पाया गया। धूम्रपान की व्यापकता ग्रामीण क्षेत्रों में 11.9 प्रतिशत और शहरी क्षेत्रों में 8.3 प्रतिशत थी। 20 -34 आयु वर्ग के आठ (12.2 प्रतिशत) दैनिक उपयोगकर्ताओं में से एक ने 15 साल की उम्र से पहले धूम्रपान करना शुरू कर दिया था, जबकि सभी दैनिक धूम्रपान करने वालों में से एक-तिहाई (35.8 प्रतिशत) ने जब वे 18 साल से छोटे थे तब से धूम्रपान करना शुरू कर दिया था। टाटा मेमोरियल हॉस्पिटल के उप निदेशक और वॉयस ऑफ टोबैको विक्टिम्स के संस्थापक डॉ. पंकज चतुर्वेदी ने कहा कि गर्भवती महिला के धूम्रपान या एसएचएस के संपर्क में आने से भ्रूण में फेफड़ों की वृद्धि कम हो सकती है और इसका असर भ्रूण की गतिविधियों पर हो सकता है। गर्भपात हो सकता है या समय से पहले बच्चे का जन्म हो सकता है, नवजात जन्म से कमजोर हो सकता है और यहां तक कि अचानक शिशु मृत्यु सिंड्रोम भी पैदा हो सकता है।

महाराष्ट्र में 3.8 फीसदी धूम्रपान के आदी
महाराष्ट्र में 03.8 प्रतिशत लोग धूम्रपान करते हैं, जिसमें 6.0 प्रतिशत पुरुष, 1.4 प्रतिशत महिलाएं है। 24.4 प्रतिशत लोग चबाने वाले तंबाकू उत्पादों का प्रयोग करते हुए है, जिसमें 31.7 प्रतिशत पुरुष व 16.6 प्रतिशत महिलाएं है। 19.9 प्रतिशत लोग घरेां में सेकंड हैंड स्मोक का शिकार हेाते है, 17.2 प्रतिशत पुरुष, 22.9 प्रतिशत महिलाएं, कार्यस्थल पर 20.1 प्रतिशत लोग, जिसमें 19.9 प्रतिशत पुरुष, 20.9 प्रतिशत महिलाएं, सरकारी कार्यालय व परिसर में में 12.1 प्रतिशत शामिल है।

हाईलाइट्स
एक मिनट में एक करोड़ सिगरेट पी ली जाती है।
एक मिनट में दुनिया में सात लोग धूम्रपान की वजह से मरते हैं।
दुनिया मेें 1.65 लाख बच्चे पांच वर्ष की आयु से पहले दूसरे के छोड़े धुएं से मरते हैं।
तंबाकु के धुंए में सात हजार से अधिक रसायन, जिनमें 69 कैंसर के कारण
तंबाकु का धुंआ पांच घंटे तक वातावरण में रहकर कैंसर का कारण बनता है।
भारत में 10.7 फीसदी व्यस्क धूम्रपान करते हैं।
देश में 38.7 फीसदी वयस्क घर पर और 30.2 फीसदी वयस्क कार्यस्थल पर सेकेंड हैंड स्मोक के शिकार होते हैं।

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