पिछले कुछ साल से सोशल मीडिया पर अच्छा दिखने और दिखाने का ट्रेंड तेजी से बढ़ा है। खासकर लड़कियां और महिलाएं बॉडी इमेज इश्यू को लेकर ज्यादा संवेदनशील हैं। अगर कोई उनकी सुंदरता या शरीरिक फिटनेस को लेेकर निगेटिव कमेंट करता है तो वे जल्दी डिप्रेशन में चली जाती हैं। टाइम्स जर्नल की स्टडी में हर 4 में से 1 युवा लड़की ने बॉडी इमेज इश्यू को माना है।
कैंब्रिज यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता डॉ. एमी ओरबेन का मानना है कि कम उम्र की लड़कियां सोशल मीडिया का तेजी से शिकार हो रही हैं। उनके एक अध्ययन के अनुसार जिन लड़कियों ने 11 से 13 साल की उम्र के बीच सोशल मीडिया पर अधिक समय बिताया वह अन्य की अपेक्षा एक साल बाद अपनी लाइफ से कम संतुष्ट दिखीं। शोध के अनुसार लड़कियों पर लड़कों की अपेक्षा ज्यादा असर देखा गया।
60 फीसदी लड़कियां उत्पीडऩ की शिकार
भारत, अमरीका और ब्राजील समेत 22 देशों की 14 हजार लड़कियों पर किए किए गए अध्ययन में पाया गया कि सोशल साइट्स पर 60 फीसदी लड़कियां दुव्र्यवहार का शिकार हुईं। 39 प्रतिशत लड़कियां फेसबुक, 23 प्रतिशत इंस्टाग्राम, 14 प्रतिशत व्हाट्सएप तो 9 प्रतिशत लड़कियां ट्विटर पर उत्पीडऩ हुआ और वे डिप्रेशन का शिकार हुईं।
बढ़ रही मेमोरी स्लिपिंग
सोशल मीडिया पर ज्यादा सक्रियता युवओं को मानसिक रूप से बीमार कर रही है। नींद चक्र खराब होने से मेमोरी स्लिपिंग बढ़ रही है। सुंदर और फिट दिखने-दिखने के चलते युवतियों की सक्रियता जितनी तेजी से बढ़ी है, मानसिक अवसाद भी उतने ही बढ़े हैं। ऐसे में सोशल मीडिया का उतना ही उपयोग उचित है जितना जरूरी हो।
– मनोज कुमार शर्मा, वरिष्ठ मनोचिकित्सक, निम्हांस, बेंगलूरु